वाराणसी। ज्ञानवापी (Gyanvapi) में हुए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के सर्वे में हिंदू मंदिर होने के स्पष्ट प्रमाण मिले हैं। अदालत के आदेश पर गुरुवार को सभी पक्षकारों को 839 पन्नों की रिपोर्ट की प्रिंट कापी सौंप दी गई। मंदिर (Temple) पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन (Vishnu Shankar Jain) ने बताया कि एएसआइ (ASI) सर्वे के दौरान ज्ञानवापी में कई शिलालेख देखे गए।
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रिपोर्ट में (ASI) सर्वेक्षण के दौरान कुल 34 शिलालेखों के मिलने की बात कही गई है। बताया गया है कि पहले से मौजूद हिंदू मंदिरों (Temple) के पत्थरों पर ये शिलालेख हैं, जिनका मौजूदा ढांचे के निर्माण और मरम्मत के दौरान दोबारा उपयोग किया गया है। इनमें देवनागरी, तेलुगु और कन्नड़ लिपियों के शिलालेख भी शामिल हैं। संरचना में पहले के शिलालेखों के पुन: उपयोग से पता चलता है कि पहले की संरचनाओं को नष्ट कर दिया गया था और उनके हिस्सों को मौजूदा संरचना के निर्माण में फिर से उपयोग किया गया। इन शिलालेखों में देवताओं के तीन नाम जैसे जनार्दन, रुद्र और उमेश्वर पाए गए हैं। देवनागरी (Devanagari), तेलुगु और कन्नड़ लिपियों के शिलालेख भी मिले हैं।
एक टूटे पत्थर पर फारसी में मंदिर (Temple) तोड़े जाने का आदेश और मस्जिद बनाने की तारीख मिली है। मस्जिद के नीचे मूर्तियों को दबाया गया है। तहखानों में भी हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियां मिली हैं। दरवाजों पर पशु-पक्षियों के चित्र हैं। गलियारे में कुआं भी मिला है। स्वास्तिक के निशान और नागदेवता के निशान भी मिले हैं। चौकोर अरघा मिला है, जिसे शिवलिंग का बताया जा रहा है। चतुर्भुज मूर्ति और एक जनेऊधारी मूर्ति मिली है। वहां तांबे का कलश, सिक्के आदि हैं। तहखाने में शेर के रूप में नरसिंह भगवान की भी तस्वीर मिली है। पश्चिमी दीवार हिंदू मंदिर (Temple) का हिस्सा है।
विष्णु शंकर जैन (Vishnu Shankar Jain) ने कहा कि वह ज्ञानवापी (Gyanvapi) की पानी की टंकी (वुजूखाना) का भी एएसआइ (ASI) सर्वे कराने की अदालत से मांग करेंगे। पानी की टंकी अभी सुप्रीम कोर्ट के आदेश से सील है। एडवोकेट कमिश्नर की कार्यवाही के दौरान पानी की टंकी में शिवलिंग की आकृति मिली थी। मंदिर (Temple) पक्ष का दावा है कि वह शिवलिंग है जबकि मस्जिद पक्ष उसे फव्वारा बताता है।
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