डेस्क। नेटफ्लिक्स (Netflix) पर रिलीज हुई अभिनेता शाहरुख खान की प्रोडक्शन कंपनी की फिल्म (film) भक्षक (Bhakshak) भी बिहार (Bihar) के मुजफ्फरपुर बालिका गृह कांड से प्रेरित है, जिसमें यौन उत्पीड़न और मारपीट की शिकार हुई 35 लड़कियों को बचाया गया था। इस फिल्म की कहानी बिहार के मुन्नवरपुर से शुरू होती है, जहां के एक बालिका गृह (girls home) में लड़कियां यौन शोषण का शिकार हैं।
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इस बालिका गृह (girls home) का कर्ताधर्ता बंसी साहू (आदित्य श्रीवास्तव) है, जो खुद पत्रकार भी है। पुलिस, प्रशासन हर कोई इस बालिका गृह (girls home) में होने वाली दरिंदगी के आगे अपनी आंखें बंद करके बैठा है। वहां से कहानी पटना आती है, जहां स्थानीय पत्रकार वैशाली सिंह (Bhumi Pednekar) अपना न्यूज चैनल कोशिश न्यूज सेट करने का प्रयास कर रही है। घर में पति का सपोर्ट है लेकिन ननद-नंदोई चाहते हैं कि वह परिवार को आगे बढ़ाए। इस बीच वैशाली का सूत्र उसे राज्य के चाइल्ड सेंटर होम में हुए सर्वे की ऑडिट रिपोर्ट देता है, जिसमें मुजफ्फरपुर के बालिका गृह (girls home) में बच्चियों के साथ हुए शारीरिक दुर्व्यवहार का जिक्र होता है।

वैशाली अपनी रिसर्च शुरू करती है। इसमें उसका साथ कैमरामैन भास्कर सिन्हा (संजय मिश्रा) देता है। पुलकित निर्देशित इस फिल्म (film) की खास बात यह है कि उन्होंने मुद्दे की संवेदनशीलता को समझते हुए इसे कमर्शियल बनाने वाले कोई तत्व जैसे शोर-शराबे वाले बैकग्राउंड (background) स्कोर या फास्ट कट वाले सीन नहीं डाले हैं। फिल्म (film) की कहानी, पटकथा और संवाद पुलकित और ज्योत्सना नाथ ने लिखी है।
फिल्म (film) की खास बात यह भी है कि लेखकों ने भूमि (Bhumi Pednekar) के पात्र को कहीं से भी बेचारी नहीं दर्शाया कि घर के काम ना कर पाने पर वह कोई अपराधबोध महसूस करे। वह सबक जरूर सिखा देती है कि अगर पति को भूख लगी है, तो वह मुठ्ठी भर दाल-चावल खुद पका सकता है। अभिनय की बात करें, तो भूमि पेडणेकर ने पूरी शिद्दत, संवेदनशीलता और जिम्मेदारी के साथ वैशाली के पात्र को निभाया है। वहीं, संजय मिश्रा और दुर्गेश कुमार का किरदार इस गंभीर कहानी के माहौल को हल्का-फुल्का बनाने में मदद करते हैं।
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