एंटरटेनमेंट डेस्क। आशा पारेख (Asha Parekh) हिंदी सिनेमा के वह नाम हैं, जिन्होंने अपने दौर में एक से बढ़कर एक फिल्मों के जरिए दर्शकों का भरपूर मनोरंजन किया। एक समय पर बॉलीवुड की लेडी सुपरस्टार के तौर पर सिनेमा पर राज करने वालीं आशा को एक डायरेक्टर ने बहुत जलील किया था और ये कहते हुए उन्हें से फिल्म से बाहर कर दिया था कि वह स्टार मैटेरियल यानी कहीं से भी हीरोइन जैसी नहीं लगती हैं।
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दरअसल 16 साल की उम्र में बतौर लीड एक्ट्रेस आशा पारेख फिल्म गूंज उठी शहनाई (1959) से कदम रखने वाली थीं। इस मूवी का निर्देशन विजय भट्ट ने किया। विजय ने आशा को ये कहते हुए फिल्म से आउट कर दिया कि वह किसी भी एंगल से स्टार नहीं दिखती हैं और इस तरह से अभिनेत्री का डेब्यू टल गया। लेकिन आशा पारेख की किस्मत में कुछ और ही लिखा था।
इस वाक्ये के 8 दिन बाद आशा पारेख को फेमस फिल्ममेकर नासिर हुसैन की फिल्म दिल देकर देखो लगी, जिसमें वह शम्मी कपूर के साथ नजर आईं। इस मूवी के जरिए आशा ने बतौर लीड एक्ट्रेस बॉलीवुड में कदम रखा। आलम ये रहा है कि आशा पारेख रातों रात स्टार बन गईं।

इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। 60 से लेकर 70 के दशक में बैक टू बैक सफल फिल्में देकर आशा पारेख को जुबली गर्ल का टैग मिला और वही हिंदी सिनेमा की लेडी सुपरस्टार बन गईं। इस तरह से अपनी सफलता से आशा ने निर्देशक विजय भट्ट को मुंहतोड़ जवाब दिया। आशा पारेख की ज्यादातर फिल्में 25 हफ्तों तक सिनेमाघरों में चलीं। जिसकी वजह से इंडस्ट्री के कई फिल्ममेकर्स ने उन्हें जुबली गर्ल बुलाना शुरू कर दिया।
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