नई दिल्ली। पिछले कुछ समय से भारतीय रुपया (rupee) लगातार गिर रहा है। डॉलर के मुकाबले इसकी कीमत अपने अब तक के सबसे निचले स्तर के आसपास पहुंच गई है। रुपया मजबूत या कमजोर है, यह हमेशा डॉलर की कीमत से पता चलता है। आइए जानते हैं मोदी राज में रुपया कितना टूटा और ये मनमोहन काल के मुकाबले कम या ज्यादा है?
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हाल ही में डॉलर की कीमत 90 रुपये के पार तक पहुंच गई यानी रुपया कमजोर हुआ। 2014 में मोदी सरकार की शुरुआत में 1 डॉलर पर 58.58 रुपये था। अब डॉलर लगभग 90 रुपये के पार है यानी मोदी सरकार में रुपये की गिरावट 52 प्रतिशत से ज्यादा हो चुकी है। पिछले एक साल में रुपये ने डॉलर के मुकाबले काफी कमजोरी दिखाई है।

सितंबर 2023 में जहां 1 डॉलर की कीमत 83.51 रुपये थी। वहीं सितंबर 2024 में यह बढ़कर 88.74 रुपये हो गई यानी सिर्फ एक साल में रुपये की वैल्यू 6 प्रतिशत से ज्यादा गिर चुकी है। मनमोहन सिंह ने 2004 में जब सरकार संभाली थी, उस समय डॉलर 45.45 रुपये का था। 2014 में उनके कार्यकाल के अंत तक डॉलर 58.58 रुपये तक पहुंच गया यानी पूरे 10 सालों में रुपये की कीमत लगभग 29 प्रतिशत घटी।
इसके मुकाबले मोदी सरकार में रुपये की गिरावट ज्यादा रही। 2014 में मोदी सरकार की शुरुआत के समय डॉलर 58.58 रुपये का था, जो अब बढ़कर 90 रुपये के पार तक पहुंच चुका है। इसका मतलब यह हुआ कि पिछले दस वर्षों में रुपया 52 प्रतिशत से भी ज्यादा कमजोर हुआ है। यह तुलना दिखाती है कि मनमोहन सरकार के मुकाबले मोदी सरकार के दौरान रुपये का टूटना लगभग दोगुनी रफ्तार से हुआ है।
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