टेक्नोलॉजी डेस्क। देश में एक नया डिजिटल बवंडर उठ चुका है- एक ऐसा ऐप, जो आपके फोन में बिना पूछे आकर बैठ जाएगा और हटाए भी नहीं हटेगा। सरकार कहती है, यह आपकी सुरक्षा की ढाल है और विपक्ष दावा करता है कि यह आपकी जेब में जबरन घुसा निगरानी कैमरा है। Sanchar Saathi नाम की यह तकनीकी पहेली अब सियासी तूफान का केंद्र बन चुकी है।
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Sanchar Saathi कोई अचानक उतरा हुआ ऐप नहीं है। यह DOT के CEIR और TAFCOP जैसे दो अलग-अलग सिस्टम का संयुक्त रूप है। एक वो सिस्टम जो चोरी हुए मोबाइल को रोकता है और दूसरा वो प्लेटफॉर्म जो आपके नाम पर कितने नंबर चल रहे हैं, यह बताता है। सरकार ने 2023 में इन दोनों को मिलाकर एक डिजिटल छतरी बनाई और इसी से निकला ‘संचार साथी’। अब 2025 में यह छतरी आपके फोन के ऊपर हमेशा के लिए लगाने की तैयारी चल रही है।

बीते हफ्ते दूरसंचार मंत्रालय का एक दस्तावेज जैसे ही सार्वजनिक हुआ, टेक इंडस्ट्री से लेकर संसद तक हलचल मच गई।सरकार कहती है कि इससे साइबर अपराधों पर बड़ा अंकुश लगेगा, जैसे- नकली IMEI, फर्जी सिम, जाली मोबाइल, चोरी हुए फोन की ट्रैकिंग सब कुछ मिनटों में हो सकेगा लेकिन विपक्ष का आरोप है कि यह ‘सिक्योरिटी’ के नाम पर सोशल मॉनिटरिंग का नया हथियार है।
एंड्रॉयड में ऐप को कई संवेदनशील एक्सेस मिल सकते हैं जैसे- कॉन्टेक्ट, कॉल लॉग, एसएमएस, लोकेशन, कैमरा, फोटो और फोन की फाइलें। iPhone में ये एक्सेस सीमित हैं, पर फोटो-कैमरा-फाइल तक पहुंच फिर भी रहती है। संचार साथी की बहस इसलिए बड़ी है क्योंकि पहली बार ऐसा ऐप सीधे सरकार की निगरानी में होगा और उससे बचने का विकल्प नहीं मिलेगा।
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