लाइफस्टाइल डेस्क। हमारे समाज में एचआईवी और एड्स को लेकर कई तरह की गलतफहमियां फैली हुई हैं। बहुत से लोग इन दोनों को एक ही बीमारी मान लेते हैं, जबकि मेडिकल साइंस के अनुसार एचआईवी और एड्स दो अलग-अलग कंडीशन हैं। आइए World AIDS Day के मौके पर इस बारे में विस्तार से समझते हैं।
यह भी पढ़ें-कितना ब्लड प्रेशर होने पर आ सकता है हार्ट अटैक?
एचआईवी यानी ह्यूमन इम्यूनोडेफिशिएंसी वायरस एक ऐसा खतरनाक वायरस है जो शरीर की प्रतिरोधक क्षमता पर धीरे-धीरे हमला करता है। यह वायरस खासतौर पर CD4 कोशिकाओं को निशाना बनाता है, जो संक्रमणों से लड़ने में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। एड्स यानी एक्वायर्ड इम्यूनोडेफिशिएंसी सिंड्रोम एचआईवी संक्रमण का सबसे अंतिम और गंभीर चरण है। यह कोई अलग वायरस नहीं है, बल्कि एचआईवी से लंबे समय तक बिना इलाज के रहने पर विकसित होने वाली स्थिति है।

जब किसी एचआईवी संक्रमित व्यक्ति का CD4 काउंट 200 से नीचे पहुंच जाए, या उसे कुछ विशेष प्रकार के संक्रमण या कैंसर हो जाएं, तो उसे एड्स के रूप में डायग्नोज किया जाता है। इस अवस्था में शरीर बेहद कमजोर हो जाता है और सामान्य संक्रमण भी गंभीर हो सकते हैं।
अब सवाल उठता है कि एचआईवी को एड्स में बदलने में कितना समय लगता है? यह प्रक्रिया हर व्यक्ति में अलग हो सकती है। औसतन अगर एचआईवी का इलाज बिल्कुल न किया जाए तो यह संक्रमण 8 से 10 साल में एड्स के चरण तक पहुंच सकता है। हालांकि यह अवधि व्यक्ति के लाइफस्टाइल, सेहत और बीमारी की गंभीरता पर भी निर्भर करती है।
एचआईवी संक्रमण के शुरुआती वर्षों में लक्षण न दिखना सबसे बड़ी चुनौती है। इसलिए समय-समय पर एचआईवी टेस्ट, सुरक्षित व्यवहार और नियमित दवा लेना इन सबकी मदद से एड्स को पूरी तरह रोका जा सकता है।
Tag: #nextindiatimes #WorldAIDSDay #HIV




