एंटरटेनमेंट डेस्क। सिनेमा जगत में जितेंद्र (Jeetendra) का काफी सफल योगदान है। तीन दशक से ज्यादा लंबे फिल्मी करियर के दौरान उन्होंने एक से बढ़कर एक हिट मूवी दी है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि बॉलीवुड में उनके एक्टिंग के सफर की शुरूआत कैसे और कहां से हुई है।
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7 अप्रैल 1942 में अभिनेता का जन्म एक पंजाबी फैमिली में हुआ। बात उस दौर की है, जब वह अपने पिता अमरनाथ कपूर के साथ उनके नकली ज्वैलरी वाले बिजनेस को संभाला करते। इसके साथ ही वह फिल्मों के सेट पर शूटिंग के लिए इस्तेमाल की जाने वाली फेक ज्वैलरी भी सप्लाई करते थे।
एक बार उन्हें हिंदी सिनेमा के दिग्गज निर्देशक वी शांताराम की फिल्म नवरंग (1959) के लिए कुछ नकली ज्वैलरी सेट पर पहुंचानी थी। लेकिन उस दौरान शांताराम को एक ऐसे शख्स की तलाश थी, जो अभिनेत्री संध्या के बॉडी डबल की भूमिका अदा कर सके।

दरअसल फिल्म में एक ऐसा सीन था, जिसमें हीरोइन को आग में कूदते हुआ दिखाना था, इसे हाई रिस्की मानते हुए कोई भी एक्ट्रेस ऐसा करने के लिए तैयार नहीं थी। ऐसे में सेट पर मौजूद जितेंद्र ने स्थिति का जायजा लिया और वह इसके लिए तैयार हो गए और एक अभिनेत्री के बॉडी डबल के तौर पर उनके एक्टिंग करियर की शुरुआत हो गई। हालांकि इसके बाद साल 1964 में आई फिल्म गीत गाया पत्थरों ने से उन्होंने बतौर लीड एक्टर खुद को स्थापित किया।
जितेंद्र के माता-पिता ने उनका नाम रवि कपूर रखा था। हांलाकि बॉलीवुड में पहचान बनाने के लिए उन्होंने नए नाम जितेंद्र का इस्तेमाल किया, जो एक इतिहास बना। अभिनेता के रूप में उन्होंने 200 से अधिक फिल्मों में काम किया।
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