लाइफस्टाइल डेस्क। आज की व्यस्त जीवनशैली के चलते काफी लोग अनिद्रा से जूझ रहे हैं। ज्यादातर लोग डाक्टर से इसके बारे में बात नहीं करते। वहीं फिजिशियन भी नींद के बारे में अक्सर नहीं पूछते हैं। हालांकि अनिद्रा कोई छोटी समस्या (problems) नहीं है, यह आपके सोच से अधिक गंभीर हो सकती है।
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नींद की समस्या या नींद पूरी नहीं होना, सामान्य बात है, खासकर जब किसी परीक्षा या प्रोजेक्ट वर्क के नजदीक हों। जब आप बिस्तर पर होते हैं, तो आप महसूस कर सकते हैं कि मन दौड़ रहा है या आराम नहीं मिल रहा है। ये इन्सोम्निया (अनिद्रा) या रेस्टलेस लेग सिंड्रोम के लक्षण हैं, जो पैरों के हिलाने की अनियंत्रित इच्छा से पहचाना जाता है। वहीं तनाव और एनीमिया इन लक्षणों को गंभीर बनाते हैं।

अगर इस तरह के लक्षण लगातार तीन महीने से अधिक समय तक रहते हैं तो उपचार की नितांत आवश्यकता है। हालांकि अगर लक्षण खराब हो रहे हैं या आपकी दिनचर्या प्रभावित होने लगी है तो पहले भी डाक्टर से मिल सकते हैं। नियमित रूप से शराब, बेनाड्रिल, कैनाबिस या मेलाटोनिन (बिना चिकित्सक के परामर्श के) का सहारा लेना भी अनिद्रा के पीछे एक बड़ा कारण हो सकता है। इनसे आपको जल्दी नींद आ सकती है पर नींद की गुणवत्ता इससे प्रभावित होती है और इन सबसे स्लीप डिसआर्डर का जोखिम बढ़ता है।
कुछ मरीजों को पैरासोम्निया या असामान्य बर्ताव का अनुभव होता है, जैसे कि सोते समय वे टहलने, भोजन करने या चिल्लाने या झगड़ने जैसे अनुभव महसूस करते हैं। यह नींद में बार-बार व्यवधान का कारण बन सकता है। अंततः मोटापा, उच्च रक्तचाप, किडनी बीमारी या पार्किंसन जैसी समस्याएं अनिद्रा का कारण बनती हैं। इसलिए डाक्टर से सलाह आवश्यक है।
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