लाइफस्टाइल डेस्क। आप जब भी किसी मॉल, दफ्तर या पब्लिक टॉयलेट में जाते हैं, तो हाथ धोने के बाद अक्सर उन्हें सुखाने के लिए हैंड ड्रायर (hand dryer) का इस्तेमाल करते हैं। आपको लगता है कि यह एक मॉडर्न और साफ-सुथरा तरीका है, लेकिन हाल ही में हुई एक स्टडी और एक्सपर्ट्स की राय इसके बिलकुल उलट है।
यह भी पढ़ें-हेयर कलर के बाद ऐसे करें बालों की देखभाल, जल्दी नहीं फीका पड़ेगा रंग
जब भी टॉयलेट फ्लश किया जाता है तो एक अदृश्य धुंध जैसी परत हवा में फैल जाती है। इसे “टॉयलेट प्लूम” कहा जाता है। यह महीन कण कई घंटे तक हवा में तैरते रहते हैं। हैंड ड्रायर जब उसी हवा को खींचकर तेज दबाव में बाहर फेंकते हैं, तो वे कण सीधे आपके साफ हाथों और आसपास की सतहों पर वापस जम जाते हैं। यानी हाथ धोने की मेहनत कुछ ही सेकंड में बेकार हो सकती है।
हैंड ड्रायर की सबसे बड़ी समस्या उनकी तेज हवा है। यूनिवर्सिटी ऑफ लीड्स की एक स्टडी में पाया गया कि हाई-स्पीड जेट ड्रायर पेपर टॉवल की तुलना में 1,300 गुना ज्यादा बैक्टीरिया फैला सकते हैं। तेज हवा से ये कीटाणु सिर्फ हाथों तक ही नहीं, बल्कि कपड़ों, चेहरे और यहां तक कि पास खड़े दूसरे व्यक्ति तक भी पहुंच सकते हैं।

हाथ सुखाने का सबसे सुरक्षित और प्रभावी तरीका पेपर टॉवल ही है। यह न केवल हाथ जल्दी सुखाते हैं, बल्कि बची-खुची नमी और कीटाणुओं को भी हटा देते हैं। अगर पेपर टॉवल उपलब्ध न हों तो हाथों को हवा में सूखने देना हैंड ड्रायर से बेहतर है। हैंड ड्रायर दिखने में भले ही आधुनिक और इको-फ्रेंडली लगे लेकिन इनके जरिए आपके हाथ अनजाने में कीटाणुओं और फंगस के शिकार हो सकते हैं। ऐसे में जब भी विकल्प मिले, पेपर टॉवल ही चुनें।
Tag: #nextindiatimes #Lifestyle #handdryer