हेल्थ डेस्क। अल्जाइमर (Alzheimer) डिजीज दिमाग से जुड़ी एक गंभीर समस्या है, जो धीरे-धीरे याददाश्त, सोचने की क्षमता और रोजमर्रा के काम करने की ताकत को प्रभावित करती है। शोध बताते हैं कि महिलाओं में इसका खतरा कहीं अधिक होता है। आंकड़ों के अनुसार, अल्जाइमर से पीड़ित कुल मरीजों में लगभग दो-तिहाई महिलाएं होती हैं।
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अल्जाइमर का सबसे बड़ा कारण उम्र बढ़ना माना जाता है। महिलाएं आमतौर पर पुरुषों से अधिक समय तक जीवित रहती हैं और लंबी उम्र के साथ इस बीमारी का खतरा बढ़ जाता है, लेकिन यह अकेली वजह नहीं है। शोध से पता चला है कि महिलाओं में हार्मोनल बदलाव भी बड़ी भूमिका निभाते हैं। मेनोपॉज के बाद एस्ट्रोजन हार्मोन का स्तर अचानक कम हो जाता है। एस्ट्रोजन दिमाग की सेहत पर सकारात्मक असर डालता है और जब यह कम हो जाता है तो दिमाग की कोशिकाएं याददाश्त को लेकर ज्यादा संवेदनशील और कमजोर हो सकती हैं।

महिलाओं में डिप्रेशन और एंग्जायटी की समस्या पुरुषों की तुलना में ज्यादा पाई जाती है। ये दोनों ही स्थितियां दिमाग पर नकारात्मक असर डालती हैं और समय के साथ कॉग्निटिव क्षमता को घटा सकती हैं। शोध यह भी बताता है कि APOE ε4 नामक जीन का असर महिलाओं में पुरुषों की तुलना में ज्यादा मजबूत हो सकता है, जिससे उन्हें यह बीमारी होने की संभावना और बढ़ जाती है।
अल्जाइमर का खतरा पूरी तरह टाला नहीं जा सकता, लेकिन जागरूकता और जीवनशैली में बदलाव से जोखिम काफी हद तक कम किया जा सकता है। महिलाओं को मेनोपॉज के दौरान हार्मोनल बदलाव और दिमाग की सेहत पर डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। नियमित व्यायाम, पौष्टिक आहार और पर्याप्त नींद दिमाग को मजबूत रखते हैं।
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