लाइफस्टाइल डेस्क। आमतौर पर लोग किडनी या गॉल ब्लेडर स्टोन के बारे में ही बात करते हैं और उसे लेकर ही ज्यादा सतर्कता बरतते हैं। लेकिन क्या आपको पता है टॉन्सिल (tonsils) में भी स्टोन हो सकते हैं, जिसे टॉन्सिलोलिथ कहा जाता है। डॉक्टरों का मानना है कि यह एक आम समस्या है और किसी को भी हो सकती है।
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स्टडीज बताती है कि 60% लोगों को कभी ना कभी यह समस्या होती है। आइए जानते हैं यह कैसे होता है और इससे बचने के क्या तरीके हैं। tonsils में छोटे आकार के पीले या सफेद रंग के डिपॉजिट हो जाते हैं। ऐसा बैक्टीरिया, स्लाइवा, खाने के कण और टुकड़े मुंह की सेल्स लाइनिंग क्रिप्ट पर फंस जाने की वजह से हो सकता है।
आमतौर पर ये स्टोन मुलायम ही होते हैं लेकिन कई बार पत्थर की तरह सख्त भी हो सकते हैं। टॉन्सिल स्टोन्स (tonsils) कुछ दिनों से लेकर कुछ हफ्तों तक बने रह सकते हैं। गले में खराश होना या ऐसा महसूस होना कि गले में कुछ अटक गया है, मुंह से बदबू आना, खांसी, कुछ निगलने में परेशानी होना, गले में इंफेक्शन आदि इसके प्रमुख लक्षण हैं।

इसके इलाज के लिए नमक मिले पानी से गरारे करने या फिर रूई के फाहे या वॉटर फ्लॉसर की मदद से इसे निकालने में मदद मिल सकती है। टॉन्सिल स्टोन (tonsils) को नुकीली चीजों जैसे टूथपिक या फिर पेन से निकालने की कोशिश न करें, इससे गले या टॉन्सिल को नुकसान हो सकता है। ज्यादा शक्कर वाली चीजें खाने-पीने खाने से बचें, इससे मुंह में बैक्टीरिया का खतरा कम किया जा सकता है और स्टोन्स बनने से रोकने में मदद मिल सकती है।
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