हेल्थ डेस्क। जोड़ों का दर्द, मांसपेशियों में जकड़न या कमजोरी की समस्या बढ़ती उम्र में होती है, पर आज स्कूली बच्चों में भी ऐसी समस्याएं देखी जा रही हैं। हाथ-पांव, गर्दन और कमर में दर्द हो या क्रैंप की शिकायतें, बच्चों और किशोरों में (Weak Bones in Kids) भी देखने को मिल रही हैं।
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बच्चों में ये समस्याएं खराब खानपान, निष्क्रियता और अनियमितता भरी जीवनशैली के कारण हो रही हैं। वास्तव में बच्चे स्वस्थ आहार की अपनी कुल जरूरत का 10 प्रतिशत भी नहीं ले पाते। स्क्रीन टाइम का बढ़ना, इनडोर यानी घर या स्कूल के अंदर अधिक समय बिताने के कारण विटामिन-डी की कमी हो रही है।
वहीं, खानपान में जंक फूड के बढ़ते चलन के कारण कैल्शियम और विटामिन की भरपाई नहीं हो पाती। यही बच्चे जब वयस्क होते हैं, तो ज्यादातर की आदतें नहीं बदल पातीं। ये आदतें वयस्कों और आगे चलकर 60 की उम्र के बाद गंभीर समस्याओं का कारण बन जाती हैं। बच्चों को आप पर्याप्त दूध दे भी रहे हैं, तो यह ध्यान रहे कि केवल दूध बच्चों में कैल्शियम की भरपाई नहीं कर सकता। उन्हें कैल्शियम युक्त आहार भी खिलाएं, ताकि उनकी लंबाई अच्छे ढंग से बढ़े।

कैल्शियम के लिए बच्चों को बादाम, पपीता, हरी पत्तेदार सब्जियां, बींस, ब्रोकली, टोफू, सूखे अंजीर, संतरा आदि के सेवन के लिए प्रेरित करें। कैल्शियम की कमी को हल्के में नहीं लेना चाहिए। चिकित्सक की सलाह पर बच्चों को सप्लीमेंट्स भी दिया जा सकता है। हड्डियों (bones) के अच्छे स्वास्थ्य को सुनिश्चित करने के लिए बचपन से लेकर उम्र के हर पड़ाव पर हड्डियों (bones) की मजबूती पर ध्यान देना जरूरी है |
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