मथुरा। बैकुंठ (Baikunth) प्राप्ति के लिए लोग जीवन भर कई व्रत उपवास और पुण्य कर्म करते हैं, लेकिन बैकुंठ कहां है, इसके बारे में किसी को शायद ही पता हो। वृंदावन धाम में भगवान कृष्ण (Lord Krishna) के कई प्राचीन और भव्य मंदिर हैं, जो विश्व प्रसिद्ध हैं। इन्हीं में से एक है श्रीरंगनाथ मंदिर (Ranganath Temple) जिसे ‘रंगजी मंदिर’ के नाम से भी जाना जाता है।
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यह धाम न केवल अपनी भव्यता के लिए जाना जाता है, बल्कि इसका सीधा संबंध बैकुंठ धाम (Baikunth) से भी है, जो भगवान विष्णु का निवास स्थान है। इस मंदिर में हर साल बैकुंठ एकादशी (Baikunth Ekadashi) के अवसर पर ‘बैकुंठ द्वार’ खोला जाता है। यह द्वार साल में केवल एक बार खुलता है। मान्यता है कि इस विशेष दिन पर जो भक्त इस द्वार से होकर भगवान रंगनाथ के दर्शन करते हैं, उन्हें सीधे बैकुंठ धाम की प्राप्ति होती है और मोक्ष का आशीर्वाद मिलता है।

मंदिर का संबंध दक्षिण भारत की 8वीं शताब्दी की वैष्णव संत गोदा देवी से है। गोदा देवी भगवान रंगनाथ की बहुत बड़ी भक्त थीं और उन्होंने उन्हें अपने पति के रूप में पाने की इच्छा जाहिर की थी। उनकी अटूट भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान रंगनाथ ने उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया, जिस कारण इस मंदिर में भगवान कृष्ण को दूल्हे के रूप में पूजा जाता है।
इस मंदिर से जुड़ी एक मान्यता यह कि आलवर संत ने भगवान विष्णु से जीवात्मा के बैकुंठ (Baikunth) जाने का रास्ता पूछा था। जिसके उत्तर में भगवान उन्हें अपने और माता लक्ष्मी के साथ बैकुंठ लोक जाने के बारे में बताते है। जिसके बाद से वैकुण्ठ एकादशी पर यह परंपरा शुरू हुई। इस मंदिर में सभी पूजा और अनुष्ठान दक्षिण भारतीय वैदिक परंपराओं के अनुसार किए जाते हैं और यहां के मुख्य पुजारी भी दक्षिण भारतीय ब्राह्मण होते हैं।
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