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Tuesday, May 6, 2025

सिविल डिफेंस मॉक ड्रिल क्या है, 54 साल बाद क्यों पड़ी जरूरत?

नई दिल्ली। पहलगाम आतंकवादी हमले (Pahalgam terrorist attack) के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बीच गृह मंत्रालय की ओर से ‘मॉक ड्रिल’ (Mock drill) के निर्देश दिए गए हैं। 7 मई को 244 जिलों में मॉक ड्रिल की जाएगी। मॉक ड्रिल को लेकर गृह मंत्रालय (Home Ministry) की आज बड़ी बैठक हुई है, जो कि गृहसचिव गोविंद मोहन की अध्यक्षता में हुई है। ऐसी बैठक करीब 54 साल बाद हुई है। बता दें ये मॉक ड्रिल 244 जिलों में की जाएगी।

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आइए जानते हैं कि सिविल डिफेंस मॉक ड्रिल (civil defense mock drill) होती क्या है? सिविल डिफेंस मॉक ड्रिल (Mock drill) महज एक एक्सरसाइज भर नहीं है। यह आपात स्थिति में नागरिकों को सुरक्षित रखने का तरीका बताती है। कैसे एक नागरिक (citizen) मुश्किल हालात में अपना ही नहीं दूसरों का भी मददगार बन सकता है। जंग या फिर आपदा जैसे हालात से निकालने में ये ड्रिल अहम रोल निभा सकती है। यह एक जरूरी अभ्यास है जिसे सभी को गंभीरता से लेना चाहिए।

कई यूरोपीय देशों में इस तरह के मॉक ड्रिल (Mock drill) होते हैं। जहां भी युद्ध जैसे हालात बनते हैं वहां की सरकार नागरिकों को बचाव के तरीके सिखाती है। निर्देशों के मुताबिक, अभ्यास के तहत अहम प्रतिष्ठानों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उनकी पहचान छिपाने का बंदोबस्त किया जाए। ऐसा इसलिए किया जाता है, ताकि दुश्मन के विमान महत्वपूर्ण फैक्टरियों, प्रतिष्ठानों को दूर से ही निशाना न बना सकें।

किसी भी युद्ध में दुश्मन की सेना ऐसे प्रतिष्ठानों को ही सबसे पहले निशाना बनाती है, ताकि अर्थव्यवस्था की कमर तोड़ी जा सके। इसके अलावा केंद्र सरकार ने हमले की स्थिति में आम लोगों की सुरक्षित निकासी की योजना बनाने और उनका बार-बार पूर्वाभ्यास करने के लिए कहा है। हाल-फिलहाल में भारत और पाकिस्तान के बीच हुए किसी भी संघर्ष के दौरान ऐसा कोई मॉक ड्रिल (Mock drill) नहीं किया गया। राज्यों में आखिरी मॉक ड्रिल आज से 54 साल पहले 1971 में हुआ था।

Tag: #nextindiatimes #Mockdrill #Pahalgamterroristattack #civildefensemockdrill

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