डेस्क। सनातन धर्म में बैकुंठ चतुर्दशी को बेहद शुभ माना गया है। कार्तिक पूर्णिमा से एक दिन पहले यह चतुर्दशी मनाई जाती है। यह दिन पूरी तरह से भगवान विष्णु और भोलेनाथ की पूजा के लिए समर्पित है। इस पवित्र दिन को शास्त्रों में बेहद खास माना गया है।
बैकुंठ चतुर्दशी कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है। इस बार यह 25 नवंबर 2023 को मनाई जाएगी। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान विष्णु ने अपने आराध्य देव शिव जी को हजार कमल अर्पित किए थे। ऐसे में जो साधक बैकुंठ चतुर्दशी पर भगवान विष्णु को एक हजार कमल अर्पित करते हैं उन्हें भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है। वहीं, इस दिन भगवान विष्णु के सहस्रनाम का पाठ करना भी बहुत ही शुभ माना जाता है।
गया मंत्रालय वैदिक पाठशाला के पंडित राजा आचार्य बताते हैं कि उदया तिथि के अनुसार 26 नवंबर को बैकुंठ चतुर्दशी मनाना उत्तम रहेगा। इस दिन जो भी हरि स्मरण करेगा वो बैकुंठ लोक को प्राप्त करेगा। इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करके भगवान विष्णु और भगवान शंकर का पूजा करें। इसी दिन भगवान विष्णु भगवान शिव का अराधना किए थे, इसलिए इस दिन दोनों का पूजन करना श्रेयस्कर माना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु पर बेलपत्र और भगवान शिव पर तुलसी चढाने का विधान है। इस दिन दीपदान करने से घर में सुख शांति आती है।
चतुर्दशी तिथि आरंभ – 25 नवंबर, 2023 – शाम 05:22 बजे
चतुर्दशी तिथि समापन – 26 नवंबर, 2023 – दोपहर 03:53 बजे
बैकुंठ चतुर्दशी निशिताकाल – रात्रि 11:08 बजे से 12:00 बजे तक
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