डेस्क। लोगों की आस्था का प्रतीक छठ (Chhath) पर्व शुक्रवार को संपन्न हो गया। चार दिन तक चलने वाले इस पर्व के आखिरी दिन व्रतियों (devotees) ने उगते सूर्य (sun) को अर्घ्य दिया। इसके बाद उन्होंने अन्न और जल ग्रहण करके अपना व्रत समाप्त किया। आपको बता दें छठ (Chhath) पर्व को लेकर चार दिनों तक पूरा देश भक्तिमय रहा।
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गलियों से लेकर गंगा तटों तक यानी पूरे इलाके में छठ (Chhath) पूजा के पारंपरिक गीत गूंजते रहे। राजधानी दिल्ली की कई इलाकों को दुल्हन की तरह सजाया गया। शुक्रवार को सुबह से ही दिल्ली सहित पूरे देश में गंगा तट से लेकर तालाबों, विभिन्न जलाशयों के किनारे बने छठ घाटों तक लाखों श्रद्धालुओं (devotees) ने आकाश में सूर्य की लालिमा के साथ ही भगवान भास्कर को अर्घ्य अर्पित किया।
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बिहार (Bihar) समेत देश के अन्य राज्यों में भी छठ (Chhath) पूजा मनाया जाता है। छठ घाटों पर भारी तादाद में व्रतियों ने पानी में उतरकर छठी मैया की आराधना की। यह व्रत छठी मैया और भगवान भास्कर को समर्पित होता है। मान्यता है कि छठी मैया की पूजा से घर में सुख, समृद्धि और वंश की वृद्धि होती है।
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माना जाता है कि छठी मईया सूर्यदेव (Sun) की बहन हैं और उन्हीं को प्रसन्न करने के लिए सूर्य और जल की महत्ता को मानकर आराधना की जाती है। मार्कण्डेय पुराण में उल्लेख है कि सृष्टि की अधिष्ठात्री प्रकृति की देवी ने खुद को 6 भागों में बांटा है। अनके छठे अंश को सर्वश्रेष्ठ मातृ देवी के रूप में जाना जाता है। छठे स्वरूप को ही छठी (Chhath) मईया के नाम से जाना जाता है।
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