डेस्क। लोक आस्था के महापर्व छठ पूजा का आज तीसरा दिन है और आज डूबते सूर्य को पहला अर्घ्य दिया जाएगा। पश्चिम बंगाल में भी छठ पूजा (Chhath Puja) को लेकर बिहार, उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) और झारखंड से कम उत्साह नहीं है। इसकी वजह यह है कि राज्य का अधिकांश हिस्सा गंगा नदी और अन्य छोटी-बड़ी नदियों (river) और तालाबों के किनारों से घिरा हुआ है।
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इन जल स्रोतों के किनारे लाखों लोग छठी मैया और सूर्य देव की पूजा (Chhath Puja 2024) करने के लिए उमड़ते हैं। इसलिए पश्चिम बंगाल सरकार ने खास इंतजाम किए हैं। सभी गंगा घाटों की सफाई की गई है। कोई दुर्घटना न हो, इसके लिए अतिरिक्त संख्या में पुलिसकर्मियों (police) को तैनात किया गया है और घाटों पर लगातार माइकिंग की व्यवस्था की गई है।

आज व्रती महिलाएं छठ घाट (Chhath Ghat) पर एकत्रित होकर शाम को सूर्य देव को अर्घ्य देंगी। इस दौरान व्रती महिलाएं पानी में खड़े होकर ठेकुआ, गन्ना, नारियल व अन्य प्रसाद सामग्री से सूर्य देव (Sun) की पूजा करेंगी और अपने परिवार की सुख-समृद्धि व लंबी आयु की कामना करेंगी। आज सूर्यास्त का समय शाम 5:31 बजे है, इसी समय सूर्य को पहला अर्घ्य दिया जाएगा। व्रती महिलाएं पूरी श्रद्धा के साथ सूर्य देव को अर्घ्य देकर अपने परिवार की सुख-शांति व समृद्धि की कामना करेंगी।

छठ पूजा के इस अवसर पर तालाबों व नदियों के किनारे बनाए गए छठ घाटों को सजाया गया है, जहां श्रद्धालु पूरे विधि-विधान से पूजा-अर्चना करेंगे। छठ पूजा (Chhath Puja) का धार्मिक व सांस्कृतिक महत्व भी गहरा है। इस त्यौहार के दौरान बांस की टोकरी, जिसे ‘डाला’ कहा जाता है, का विशेष महत्व होता है। इस टोकरी में छठ पूजा (Chhath Puja) से जुड़ी सभी सामग्रियाँ रखी जाती हैं और इसे सिर पर उठाकर छठ घाट तक ले जाया जाता है।
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