नई दिल्ली। भारत ने पहलगाम आतंकी हमले (Pahalgam terrorist attack) का बदला लिया है। भारत (India) ने पाकिस्तान की सीमा में घुसकर ऑपरेशन सिंदूर को अंजाम दिया है। भारत की तरफ से ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor) चलाकर पाकिस्तान और POK के 100 किलो मीटर तक अंदर आतंकियों के ठिकानों को निशाना बनाया गया है। इस ऑपरेशन (Operation Sindoor) में लश्कर-ए-तैयबा और TRF के 9 आतंकी ठिकानों को जो मुरिदके, कोटली, मुजफ्फराबाद और बहावलपुर जैसे स्थानों पर थे उनको निशाना बनाया गया है।
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चलिए आपको बताते हैं कि इस ऑपरेशन का नाम आखिर ‘ऑपरेशन सिंदूर’ (Operation Sindoor) ही क्यों रखा गया और किसी ऑपरेशन के नाम कैसे रखे जाते हैं? यह ऑपरेशन (Operation Sindoor) 22 अप्रैल, 2025 को पहलगाम आतंकी हमले का जवाब था, जिसमें 25 भारतीयों और एक नेपाली नागरिक सहित 26 नागरिक मारे गए थे, जिनमें से कई पर्यटक थे। चूंकि इसमें विवाहित महिलाओं के सिंदूर को उजाड़ा गया था। लिहाजा अब इस सुहाग को महफूज रखने के लिए ही इसका नाम आपरेशन सिंदूर रखा गया।
कैसे रखे जाते हैं ऑपरेशन के नाम:
किसी भी सैन्य कार्रवाई से पहले एक रणनीति बनाई जाती है कि ऑपरेशन कहां होगा, कैसे होगा, किसको निशाना बनाया जाएगा और उसी हिसाब से सरकार मिशन के महत्व को देखते हुए उस मिशन का नामकरण करती है। नामकरण करने के पीछे गोपनीयता, प्रेरणा या कभी कभी साइकोलॉजिकल माइंडसेट छिपा होता है। सबसे पहले इसमें कोड आधारित नाम तय किए जाते हैं जिसमें किसी ऑपरेशन को एक कोड नाम दिया जाता है।

दुनिया में कई ऐसे ऑपरेशन हो चुके हैं जिसमें मिशन को कोड नेम दिया जाता है। इसके बाद आता है सिम्बोलिक नामकरण, इसमें ऐसे नाम दिए जाते हैं जो सेना और लोगों के अंदर एक नया जोश भर दे। इसके बाद उस इलाके से जुड़ा कोई नाम दे दिया जाता है। उदाहरण के लिए अगर पाकिस्तान के किसी इलाके को पूरी तरह नसते नाबूद करना है तो उस इलाके के नाम से मिशन चलाया जाता है। इसके अलावा कभी-कभी ऐसे ही अचानक कोई नाम दे दिया जाता है।
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