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Saturday, November 22, 2025

कोर्ट में क्यों खिलाई जाती है गीता की कसम, रामायण की क्यों नहीं?

डेस्क। हम सभी ने अक्सर फिल्मों में देखा है कि कोर्ट रूम में जज साहब किसी गवाह का बयान लेने से पहले उसे Gita की कसम खिलाते हैं। क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर गवाहों को गीता की ही कसम क्यों खिलाई जाती है, रामायण की क्यों नहीं?

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जानकारी के अनुसार भारत में जब मुगल शासकों का दौर था, तब उन्होंने ने ही धार्मिक किताबों पर हाथ रखकर कसम दिलाने की प्रथा शुरू की थी। दरअसल उस दौर में मुगल शासक अपने फायदे के लिए झूठ बोलते थे। इसी को ध्यान में रखते हुए उन्होंने भारत के नागरिकों को अपने धर्म ग्रंथ पर हाथ रखकर शपथ दिलाने की प्रथा शुरू की थी।

मुगल शासन काल तक गीता पर हाथ रखकर कसम खिलाने की प्रथा एक दरबारी प्रथा थी, तब इसके लिए किसी भी तरह का कानून नहीं था लेकिन अंग्रेजों ने इस प्रथा को कानूनी जामा पहना दिया और इसे ‘इंडियन ओथ्स एक्ट, 1873’ में पास करने के साथ सभी अदालतों में लागू कर दिया। हालांकि स्वतंत्र भारत 1957 आते आते इस प्रथा को देश की कुछ शाही अदालतों, जैसे बॉम्बे हाईकोर्ट में यह प्रथा चालू थी।

अपने कभी सोचा है कि कोर्ट में आखिर गीता पर हाथ रखकर ही क्यों कसम खिलाई जाती है, जबकि रामायण महाकाव्य उससे ज्यादा लोकप्रिय धार्मिक पुस्तक है। इसके पीछे का कारण है कि रामायण की किताब पढ़कर लोग आदर्श जीवन का मार्गदर्शन प्राप्त करते हैं। गीता एक ऐसा महाकाव्य जो लोगों को आदर्श जीवन उपलब्ध कराती है। इसमें केवल महाभारत युद्ध का ही उल्लेख नहीं, बल्कि सच्चाई की स्थापना के लिए मनुष्य को किस तरह का आचरण करना चाहिए इसका भी वर्णन किया गया है।

Tag: #nextindiatimes #Gita #Court

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