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Wednesday, March 19, 2025

क्यों मनाई जाती है रंगपंचमी, द्वापर युग से जुड़ी है शुरुआत की अनोखी कहानी

डेस्क। आज यानी बुधवार 19 मार्च को देश भर में रंग पंचमी (Rang Panchami 2025) का त्योहार मनाया जा रहा है। यह त्योहार होली (Holi) की तरह ही रंगों से जुड़ा है। इस खास अवसर पर राधा-कृष्ण (Radha-Krishna) की पूजा-अर्चना की जाती है और उन्हें रंग-गुलाल अर्पित किया जाता है। ऐसा करने से साधक के वैवाहिक जीवन में आ रही समस्याएं दूर हो सकती हैं।

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मान्यताओं के अनुसार इस दिन देवी देवता धरती पर होली (Holi) खेलने आते हैं। देवताओं की होली से जुड़ी कथा क्या है और कैसे रंग पंचमी (Rang Panchami) के त्योहार की शुरुआत हुई थी इसके बारे में आइए विस्तार से जानते हैं। द्वापर युग में भगवान विष्णु ने कृष्ण अवतार लिया था। माना जाता है कि भगवान कृष्ण ने ही रंग पंचमी की शुरुआत की थी। पौराणिक ग्रंथों में वर्णित है कि चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि को भगवान कृष्ण ने राधा जी के साथ होली खेली थी। भगवान कृष्ण और राधा जी को होली के रंगों में रंगा देखकर गोपियां भी शामिल हो गईं।

राधा-कृष्ण की होली से धरती पर एक अद्भुत छटा बिखरने लगी, जिसे देखकर देवी-देवता भी मंत्रमुग्ध हो गए। देवी-देवता भी राधा-कृष्ण के साथ होली खेलना चाहते थे और इसीलिए वो भी गोपी और ग्वालों का रूप धारण करके राधा-कृष्ण की टोली में शामिल हो गए। यानि धरती पर सारे देवी-देवताओं ने राधा-कृष्ण के साथ होली मनाई। यही वजह है कि रंग पंचमी (Rang Panchami) को देवताओं की होली कहा जाता है। मान्यताओं के अनुसार, आज भी रंग-पंचमी के दिन देवी-देवता धरती पर राधा-कृष्ण के साथ होली मनाने पहुंचते हैं।

रंग पंचमी (Rang Panchami) का त्योहार भगवान श्रीकृष्ण से जुड़ा हुआ है, ऐसे में आप इस दिन पर उसके प्रिय रंग यानी पीली चीजों का दान कर सकते हैं जैसे- पीले वस्त्र, चने की दाल, केले या फिर पीली मिठाई का दान कर सकते हैं। ऐसा करने से जातक को कान्हा जी के साथ-साथ श्रीराधा रानी की भी कृपा की प्राप्ति होती है। इससे जातक की कुंडली में बुध ग्रह मजबूत होता है, जिससे उसके अटके हुए काम पूरे होते हैं और आर्थिक समस्याओं से भी मुक्ति मिलती है।

Tag: #nextindiatimes #RangPanchami #Holi

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