डेस्क। भारत की संस्कृति में जितने भी त्योहार मनाए जाते हैं, उनमें से कुछ ऐसे होते हैं जो न सिर्फ धार्मिक रूप से जरूरी है बल्कि उनमें विशेष महत्व और वैज्ञानिक भावना भी छिपी होती है। इन्हीं में से एक छठ पूजा (Chhath Puja) है, जिसे सूर्य उपासना और तपस्या का पर्व कहा जाता है।
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यह त्योहार विशेष रूप से महिलाओं के लिए बहुत खास होता है क्योंकि वे पूरे नियम, व्रत और पूजा के साथ इसमें शामिल होती हैं। यह चार दिवसीय पर्व होता है। जिसमें सूर्य भगवान और छठी मैया की पूजा की जाती है। ऐसे में चलिए जानते हैं कि आखिर 4 दिन का त्योहार और नाम छठ ऐसा नाम रखने की वजह क्या है?

छठ शब्द का अर्थ ही छहवां दिन है। यह पर्व कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है यानी कार्तिक महीने के छठे दिन। यही कारण है कि इसका नाम पड़ा छठ पूजा। इस दिन सूर्य देव की पूजा की जाती है, इसलिए इसे सूर्य षष्ठी व्रत भी कहा जाता है। इसके अलावा इस दिन सूर्य देव और उनकी बहन छठी मैया की विशेष पूजा की जाती है। यह नाम सिर्फ तिथि से जुड़ा नहीं है, बल्कि यह छठी देवी की उपासना का भी प्रतीक है, जिन्हें रक्षा और सुख देने वाली देवी माना गया है।
छठ पूजा का वैज्ञानिक महत्व भी है। सूर्य की किरणें शरीर को एनर्जी और विटामिन D प्रदान करती हैं, जो हेल्थ के लिए काफी जरूरी है। इस समय सूर्य की किरणें पृथ्वी पर सीधी पड़ती हैं, जिससे स्किन और शरीर को शुद्धता मिलती है। साथ ही व्रत के दौरान शरीर को डिटॉक्स करने में भी मदद मिलती है।
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