डेस्क। हिंदू पंचांग के मुताबिक हर साल वैशाख पूर्णिमा (Vaishakh Purnima) के दिन बुद्ध जयंती मनाई जाती है। इसी दिन भगवान बुद्ध का जन्म हुआ था। बुद्ध पूर्णिमा (Buddha Purnima) का विशेष महत्व है और यह शुभ पर्व 12 मई यानी आज है। वैशाख पूर्णिमा को केवल बुद्ध का जन्म ही नहीं हुआ था बल्कि इस दिन बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी और इसी दिन उनका महानिर्वाण (Mahanirvana) भी हुआ था।
यह भी पढ़ें-चार धाम की यात्रा पर जा रहे हैं तो जरूर जान लें ये 5 बातें
बुद्ध पूर्णिमा (Buddha Purnima) के दिन बोधगया में दुनिया भर से बौद्ध धर्म मानने वाले आते हैं और बोधि वृक्ष की पूजा करते हैं। वैशाख पूर्णिमा पर पवित्र नदी के जल से स्नान के बाद घर में भगवान सत्यनारायण की पूजा और रात्रि में चंद्रमा को अर्घ्य देने की परंपरा है। माना जाता है कि चंद्रमा को अर्घ्य देने से मानसिक शांति मिलती है और सुख-समृद्धि का वास होता है।
बिहार स्थित बोधगया नामक स्थान हिंदू व बौद्ध धर्मावलंबियों के पवित्र तीर्थ स्थान है। गृह त्याग करने के बाद राजकुमार सिद्धार्थ सत्य की खोज के लिए सात वर्षों तक वन में भटकते रहे। यहां उन्होंने कठोर तप किया और अंततः वैशाख पूर्णिमा के दिन बोधगया में बोधि वृक्ष के नीचे उन्हें बुद्धत्व ज्ञान की प्राप्ति हुई। तभी से यह दिन बुद्ध पूर्णिमा के रूप में जाना जाता है। भगवान बुद्ध ने ज्ञान प्राप्त करने के बाद खीर पीकर ही अपना व्रत खोला था। इसलिए इस दिन घर में खीर बनाई जाती है और भगवान बुद्ध को खीर का प्रसाद भी चढ़ाया जाता है।

बुद्ध पूर्णिमा (Buddha Purnima) का संबंध बुद्ध के साथ केवल जन्म भर का नहीं है, बल्कि इसी पूर्णिमा तिथि को वर्षों वन में भटकने व कठोर तपस्या करने के पश्चात बोधगया में बोधिवृक्ष नीचे बुद्ध को सत्य का ज्ञान हुआ था। वैशाख पूर्णिमा के दिन ही कुशीनगर में उनका महापरिनिर्वाण भी हुआ। बुद्ध पूर्णिमा (Buddha Purnima) पर भगवान बुद्ध को मानने वाले उनके उपदेश सुनते हैं और उनके बताए मार्ग पर चलने का प्रण लेते हैं।
Tag: #nextindiatimes #BuddhaPurnima #VaishakhPurnima