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Tuesday, July 8, 2025

आखिर मानसून में क्यों बढ़ जाती है उमस? जानिए इसके पीछे का साइंस

नई दिल्ली। आजकल रोज आसमान में काले बादल होते हैं और भीषण बारिश (rain) का इंतजार होता है। इसके बावजूद न तो बारिश होती है और न ही गर्मी कम होती है। मानूसन (monsoon) के सीजन में इस मौसमी बदलाव के कारण उमस (humidity) काफी बढ़ जाती है। यानी एक ऐसा मौसम, जिसमें बारिश का इंतजार होता है लेकिन बारिश नहीं होती। नतीजा यह होता है कि उमस के कारण चिपचिपी गर्मी से पूरा उत्तर भारत परेशान रहता है। हालांकि, ऐसा क्यों होता है? क्या आप जानते हैं?

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मानसून (monsoon) में उमस (humidity) बढ़ने के पीछे बहुत ही सीधा लॉजिक है। दरअसल, जब मानसून आता है तो हवाएं समुद्र से भारी मात्रा में भाप यानी जलवाष्प अपने साथ लेकर आती हैं। यह जलवाष्प ही हमारे आस-पास यानी वातावरण में नमी को बढ़ा देता है। वहीं, जब तापमान ज्यादा होता है और वातावरण में नमी भी होती है तो उमस महसूस होती है। इसी उमस की वजह से शरीर से निकलने वाला पसीना जल्दी सूख नहीं पाता और चिपचिपाहट-बैचेनी होने लगती है।

इसके अलावा एक यह भी वजह है कि आसमान में जब बादल होते हैं और बारिश नहीं होती, तब भी Atmosphere यानी वातावरण में नमी ज्यादा बन जाती है। नमी की वजह से हवा भारी हो जाती है और ठंडी हवा का प्रवाह रुकने लगता है। जहां हवा रुकती है, वहीं उमस (humidity) ज्यादा होने लगती है। उमस की समस्या खासकर शहरों में होती हैं, जहां कंक्रीट और टार की सड़के होती हैं।

कई लोगों के मन में यह सवाल भी उठता है कि पहली या थोड़ी-बारिश होने के बाद उमस क्यों बढ़ जाती है, तो बता दें इसके पीछे पूरा साइंस काम करता है। इस बात में तो कोई दो राय नहीं है कि तपती और चिलचिलाती गर्मी की वजह से धरती गर्म हो जाती है। ऐसे में जब उस पर बारिश के पानी की बूंदें पड़ती है, तो धरती से भाप निकलती है। इसी भाप की वजह से उमस (humidity) होती है।

Tag: #nextindiatimes #humidity #Monsoon #rain

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