डेस्क। जन्माष्टमी (Janmashtami) का त्योहार पूरे देश में बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन Lord Krishna मंदिरों और घरों में खास तरह से सजावट की जाती है। इस दिन भक्त पूरे उत्साह के साथ व्रत रखते हैं। इस खास मौके पर भगवान को तरह-तरह के व्यंजन भोग में लगाए जाते हैं। इन्हें ही ‘छप्पन भोग’ कहा जाता है।
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छप्पन भोग में मिठाइयों से लेकर नमकीन और ड्रिंक्स तक शामिल होते हैं। कहा जाता है कि एक बार ब्रज के लोग राजा इंद्र को प्रसन्न करने के लिए एक खास पूजा की तैयारी में जुटे थे। इस पर बाल गोपाल ने कहा कि बारिश करना तो इंद्र देव का काम है, फिर इसके लिए खास पूजा क्यों? अगर पूजा करनी ही है, तो हमें गोवर्धन पर्वत का सम्मान करना चाहिए।

भगवान कृष्ण (Lord Krishna) की ये बात ब्रजवासियों के दिल को छू गई और उन्होंने इंद्र की बजाय गोवर्धन पर्वत की पूजा की। ये देखकर इंद्र देव ने ब्रज में भारी बारिश शुरू कर दी। तब श्रीकृष्ण ने अपनी छोटी सी उंगली पर पूरा गोवर्धन पर्वत उठा लिया। आठवें दिन जब सब कुछ शांत हुआ, तो ब्रजवासियों को याद आया कि इतने दिनों से कृष्ण ने कुछ खाया ही नहीं है।
उस समय यशोदा मैया ने कहा कि वो दिन में आठ बार लल्ला को भोजन कराती हैं। इसके बाद सभी ब्रजवासियों ने सात दिनों के हिसाब से हर बार के आठ अलग-अलग व्यंजन तैयार किए। ये सभी व्यंजन भगवान कृष्ण (Lord Krishna) को बहुत पसंद थे। इस तरह कुल 56 तरह के भोग बनाए गए। तभी से ‘छप्पन भोग’ की परंपरा चली आ रही है।
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