डेस्क। शराब (Alcohol) पीने से पहले जमीन पर दो-तीन बूंदें टपकाने की रस्म को कई लोग बस एक पुरानी आदत समझते हैं, पर इसके पीछे सदियों से चली आ रही मान्यताओं और रहस्यमय परंपराओं की लंबी कहानी छिपी है। चलिए इसके बारे में आपको बताते हैं।
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माना जाता है कि धरती पर गिराई गई पहली बूंदें किसी अदृश्य शक्ति को समर्पित होती हैं, मानो पीने वाला व्यक्ति कह रहा हो कि यह घूंट मेरे लिए और इसकी पहली निशानी उन शक्तियों के नाम, जो मुझे सुरक्षित रखें। भारत में इस परंपरा को भैरवनाथ की पूजा से भी जोड़कर देखा गया है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भैरवनाथ उन शक्तियों के रक्षक माने जाते हैं जो साधकों को नकारात्मक ऊर्जा और मानसिक उलझनों से बचाती हैं।

शराब छिड़कने को उनके प्रति सम्मान और सुरक्षा की कामना के प्रतीक के रूप में देखा जाता था। समय के साथ यह धार्मिक परंपरा धीरे-धीरे आम सामाजिक आदत में बदल गई। ग्रीस और रोम की प्राचीन सभ्यताओं में लोग पीने से पहले देवताओं के नाम शराब टपकाते थे ताकि आगामी यात्रा, युद्ध या समारोह के लिए उनका आशीर्वाद मिले। शराब का पहला अंश किसी ‘ऊपर वाली शक्ति’ को समर्पित किया जाता है।
अफ्रीकी देशों में इस परंपरा को पूर्वजों के प्रति सम्मान के रूप में निभाया जाता रहा है। अमेरिका में कई समुदाय आज भी किसी महत्वपूर्ण क्षण पर जमीन पर शराब की कुछ बूंदें गिराकर अपने दिवंगत प्रियजनों को याद करते हैं। माना जाता है कि शराब में ‘आकर्षण’ की ऊर्जा होती है जो किसी भी नकारात्मकता को खींच सकती है, इसलिए उसका एक छोटा हिस्सा जमीन को अर्पित कर दिया जाता है ताकि वह नकारात्मक प्रभाव वहीं समाप्त हो जाए और पीने वाला सुरक्षित रहे।
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