डेस्क। हिंदू समाज में पारंपरिक रूप से सफेद कपड़े पहनकर शोक मनाने (funerals) की परंपरा सदियों पुरानी है। सफेद रंग सादगी, त्याग और शांति का प्रतीक माना जाता है। किसी के निधन के बाद परिवार से लेकर रिश्तेदार तक सफेद वस्त्र पहनकर मृतक के प्रति सम्मान व्यक्त करते हैं।
यह भी पढ़ें-धर्मेंद्र ने नैनीताल में की थी इस फिल्म की शूटिंग, झील में छलांग ने मचा दिया था हड़कंप
मुस्लिम समुदाय में आमतौर पर काला रंग शोक का प्रतीक माना जाता है। हालांकि यह एक अनिवार्य नियम नहीं है लेकिन परिवार के सदस्य और करीबी लोग गहरे या हल्के काले रंग के कपड़े पहनकर मृतक के प्रति अपनी संवेदनाएं व्यक्त करते हैं। कई जगहों पर साधारण सफेद या हल्के रंग के कपड़े पहनने की भी परंपरा है, क्योंकि मुसलमानों के लिए सादगी ही सबसे महत्वपूर्ण मानी जाती है।

सिख धर्म में स्थिति कुछ अलग है। सिख समुदाय में शोक के लिए किसी विशेष रंग का कठोर नियम नहीं है लेकिन अधिकतर लोग सफेद, नीले या भूरे जैसे हल्के रंगों के सादे वस्त्र पहनते हैं। उनके यहां जोर रंग पर नहीं, बल्कि ‘सेवा’ और ‘अरदास’ पर दिया जाता है। सिख समाज में मौत के बाद अंतिम संस्कार और कीर्तन के दौरान सभी लोग साधारण कपड़े पहनकर जुटते हैं ताकि माहौल शांत और संयमित रहे।
ईसाई समुदाय में शोक का सबसे प्रमुख प्रतीक काला रंग माना जाता है। पश्चिमी देशों से शुरू हुई यह परंपरा अब भारत के ईसाई समाज में भी गहराई से मौजूद है। अंतिम यात्रा में परिवार के सदस्य, रिश्तेदार और जानकार काले कपड़े पहनकर शामिल होते हैं। काला रंग दुख और मौन का प्रतीक माना जाता है। बौद्ध धर्म में सफेद रंग शोक का मुख्य प्रतीक है लेकिन कई बार पीला रंग भी पहना जाता है।
Tag: #nextindiatimes #funerals #DharmendraDeath




