29 C
Lucknow
Wednesday, October 29, 2025

मिठाइयों पर क्यों लगाते हैं सोने-चांदी का वर्क, बेहद दिलचस्प है वजह

डेस्क। मिठाइयां (sweets) अपने स्वाद के साथ-साथ अपनी शाही प्रस्तुति के लिए भी पहचानी जाती हैं। खासकर वे मिठाइयां जो चांदी या सोने की नाजुक चादरों से सजी होती हैं। इन नाजुक चादरों को वर्क कहा जाता है। यह चमकदार परत सिर्फ दिखावे के लिए नहीं होती, बल्कि इनका सदियों पुराना संस्कृतिक, औषधीय और आध्यात्मिक महत्व है।

यह भी पढ़ें-हफ्ते में कितनी बार करनी चाहिए चेहरे पर आइस मसाज?

वर्क यानी खाने योग्य सोने या चांदी की बेहद पतली परत, जिसे हवा में उड़ता हुआ देखा जा सकता है। पारंपरिक तौर पर वर्क बनाने की प्रक्रिया बेहद बारीक और समय लेने वाली होती थी। छोटे-छोटे धातु के टुकड़ों को पार्चमेंट पेपर के बीच रखकर हथौड़े से तब तक पीटा जाता था जब तक वे पारदर्शी और महीन परत में न बदल जाएं।

वर्क की कहानी शुरू होती है मुगलों के शाही दरबार से। वहां खाना केवल स्वाद नहीं, बल्कि रॉयलटी को भी दिखाता था। फारसी प्रभाव से भारत में सोने-चांदी की वर्क लगाने की परंपरा आई और मुगलों ने इसे और भव्य बना दिया। धीरे-धीरे यह परंपरा आम घरों में भी पहुंची और मिठाइयों पर वर्क लगाना त्योहारों और खास मौकों का हिस्सा बन गया।

चांदी और सोना भारतीय संस्कृति में शुद्धता और समृद्धि के प्रतीक माने जाते हैं। दीवाली, जन्माष्टमी जैसे त्योहारों पर वर्क लगी मिठाइयों को देवताओं को भोग के रूप में अर्पित किया जाता है। चांदी की चमक रोशनी और उदारता का प्रतीक है, जबकि सोना मां लक्ष्मी और समृद्धि से जुड़ा हुआ है। आधुनिक समय में भी वर्क लगी मिठाइयां प्रतिष्ठा और समृद्धि का संकेत मानी जाती हैं। मिठाई की दुकानों में वर्क लगी मिठाइयों की कीमत साधारण मिठाइयों से ज्यादा होती है। समय के साथ मिठाइयों का रूप बदल गया है, पर वर्क की परंपरा आज भी कायम है।

Tag: #nextindiatimes #sweets #Gold

RELATED ARTICLE

close button