डेस्क। भारत की स्पेस एजेंसी ISRO आज बुलंदियों के मुकाम पर है। चंद्रयान से लेकर मंगलयान और सूर्य मिशन तक, इसने वो उपलब्धियां हासिल की हैं जिनकी दुनिया भर में चर्चा होती है। शुरुआती दौर में भारत में अंतरिक्ष रिसर्च के लिए संसाधन बेहद सीमित थे।
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वैज्ञानिकों को साधारण उपकरणों और बेसिक टेक्नोलॉजी के सहारे ही प्रयोग करने पड़ते थे। फिर भी भारत को इस क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की सोच के साथ एक कमेटी की नींव रखी गई; जिसे आज ISRO कहा जाता है। लेकिन आपका बता दें पहले इसका नाम ISRO नहीं था। बात साल 1962 की है। तब Indian National Committee for Space Research यानी INCOSPAR का गठन किया गया था। इसे भारत की पहली औपचारिक स्पेस रिसर्च कमेटी कहा जा सकता है।

इस टीम ने स्पेस टेक्नोलॉजी के शुरुआती एक्सपेरिमेंट को डायरेक्शन दी। INCOSPAR की अगुवाई डॉ. विक्रम साराभाई ने की। उनके नेतृत्व ने कमेटी को सिर्फ रिसर्च तक सीमित नहीं रखा बल्कि उसे एक ठोस मिशन की ओर मोड़ा। यही विज़न आगे चलकर ISRO की नींव बना। नई जिम्मेदारियों और बड़े विज़न के साथ इस संस्था ने भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाने का काम शुरू किया।
इसके बढ़ते प्रोजेक्ट्स और रिसर्च को देखते हुए इसे सिर्फ एक कमेटी तक सीमित रखना काफी नहीं था। देश को अब एक स्वतंत्र एजेंसी की जरूरत थी, जो राष्ट्रीय स्तर पर काम कर सके और इसी वजह से INCOSPAR को बदलने की नींव तैयार हुई। आज ISRO न सिर्फ भारत बल्कि दुनिया की टाॅप स्पेस एजेंसियों में गिना जाता है। छोटे उपग्रहों से लेकर इंटरप्लेनेटरी मिशन तक, इसकी झोली में ढेरों उपलब्धियां हैं। अपने देश के साथ-साथ दूसरे देशों के स्पेस मिशन में भी ISRO मदद करता है।
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