डेस्क। सनातन धर्म में हरतालिका तीज (Hartalika Teej 2025) के पर्व का विशेष महत्व है। इस दिन कुंवारी लड़कियां और सुहागिन महिलाएं व्रत करती हैं और महादेव के संग मां पार्वती की पूजा-अर्चना करती हैं। क्या आपको पता है कि इस कठिन व्रत को सबसे पहले किसने किया था?
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Hartalika Teej का कठिन व्रत सबसे पहले किसने किया था, इसको जानने के लिए आपको इसकी पौराणिक कथा के बारे में जानना होगा। पौराणिक कथा के अनुसार, देवी सती के आत्मदाह के बाद भगवान शिव वैराग्य ले लिये और साधना में लीन हो गए। दूसरी ओर सती ने पार्वती के रूप में हिमालयराज की पुत्री के रूप में जन्म लिया।

समय के साथ जब वह विवाह योग्य हुईं तो नारद जी के सुझाव पर हिमालयराज ने पार्वती जी का विवाह विष्णु जी से करने का निर्णय लिया। लेकिन पार्वती जी को भगवान शिव प्रिय थे। वे शिव जी को पति स्वरुप में पाना चाहती थीं, तब उनकी सहेलियों ने उनका हरण कर हिमालय में छिपा दिया। जहां माता पार्वती ने शिव जी को पति स्वरुप में पाने के लिए कठोर तप किया। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने वैराग्य छोड़कर फिर से गृहस्थ जीवन में प्रवेश करने का निर्णय लिया। शिव जी ने माता पार्वती को अर्धांगिनी के रुप में स्वीकार किया।
यह शुभ संयोग भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हुआ था, इसलिए इस तिथि को Hartalika Teej मनाई जाने लगी। अविवाहित कन्याएं माता पार्वती की तरह ही मनचाहा वर प्राप्त करने के लिए हरतालिका तीज व्रत रखने लगीं। यह व्रत सबसे कठिन व्रतों में से एक है। इसमें बिना अन्न और जल ग्रहण किए पूरे एक दिन का व्रत रखना होता है।
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