जम्मू। अमरनाथ गुफा (Amarnath cave) श्रीनगर से 135 किमी दूर समुद्रतल से 13,600 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। कहते हैं कि यहां आकर भगवान शिव (Lord Shiva) के स्वयंभू शिवलिंगम के दर्शन से सारे दुख-दर्द दूर हो जाते हैं। यहां पहुंचना काफी कठिन है, जिस वजह से इस यात्रा (Amarnath Yatra) को काफी कठिन माना जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं आखिर सबसे पहले बाबा बर्फानी (Baba Barfani) के दर्शन आखिर किसने किए थे?
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पौराणिक कथा के मुताबिक, अमरनाथ गुफा (Amarnath cave) के पहले दर्शन महर्षि भृगु द्वारा किए गए थे। एक कथा के अनुसार, एक बार कश्मीर घाटी पूरी तरह से पानी में डूबने वाली थी, उस दौरान महर्षि कश्यप ने नदियों और नालों के जरिए पानी को बाहर निकालने की कोशिश की थी। जिस समय घाटी से पानी को बाहर निकाला गया, उस दौरान महर्षि भृगु हिमालय की यात्रा करते हुए उसी रास्ते से निकल रहे थे और उन्हें तपस्या करने के लिए किसी शांत सी जगह की तलाश थी, ऐसे में वो खोज करते हुए अमरनाथ गुफा पहुंच गए, जहां उन्हें बाबा बर्फानी के दर्शन हुए। तभी से हर साल अमरनाथ की पवित्र गुफा के दर्शन करने के लिए भक्तों की भीड़ होती है।

अमरनाथ गुफा (Amarnath cave) के दर्शन करने की एक और कहानी है, गुफा को एक बूटा मलिक नाम के चरवाहे ने खोजा था। कहते हैं 15 वीं शताब्दी में बूटा बालिक को एक संत ने कोयले से भरा बैग दिया था और जब वे थैले को लेकर वापस लौटा, तो उसमें कोयले की जगह सोने के सिक्के थे। बूटा ये देखकर हैरान रह गया और संत को धन्यवाद करने के लिए जब वो उस जगह पर पहुंचा तो उसे वहां कोई संत नहीं मिला, बल्कि उस जगह पर उसे शिवलिंग की एक गुफा मिली। कहते हैं तभी से अमरनाथ यात्रा (Amarnath Yatra) की शुरुआत हुई।
अमरनाथ (Amarnath cave) तक पहुंचने के रास्ते में बालटाल सबसे छोटा रास्ता है, लेकिन थोड़ा कठिन है। पहलगाम (Pahalgam) ट्रेक काफी लंबा और कठिन है। कठिन इलाकों के लिए आप टट्टू और पालकी भी किराए पर ले सकते हैं। बालटाल से अमरनाथ तक पहुंचने के लिए 1-2 दिन (15 किमी) का सफर करना पड़ता है। हालांकि, पहलगाम मार्ग अपेक्षाकृत लंबा है और इसमें लगभग 3-5 दिन (36-48 किमी) लगते हैं।
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