नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश में आए तेज आंधी-तूफान और वज्रपात ने भीषण तबाही मचाई है। अलग-अलग जिलों में 22 लोगों की मौत हो गई, जबकि फसलें और मवेशी भी बर्बाद हो गए। अब आने वाले दिनों में मौसम विभाग (Meteorological Department) ने पहले ही उत्तर प्रदेश और राजस्थान समेत 6 राज्यों के लिए हीटवेव (heatwave) का अलर्ट जारी करके चेतावनी दे दी है। हालांकि एक सवाल आपके भी मन में आता होगा कि मौसम विभाग किन तकनीकों (techniques) के जरिए मौसम (weather) को लेकर भविष्यवाणी करता है?
यह भी पढ़ें-भीषण गर्मी के लिए रहें तैयार, जानिए अप्रैल से जून तक कैसा रहेगा मौसम
बता दें कि मौसम (weather) के पूर्वानुमान के लिए कई फैक्टर्स जिम्मेदार होते हैं। इसके लिए तमाम यंत्रों की सहायता से वातावरण और जमीन की सतह का तापमान, नमी, हवा की गति और दिशा, ओस, बादलों की स्थिति आदि को देखा जाता है। इसके लिए कई तरह की मशीनों और उपकरणों (equipment) का इस्तेमाल किया जाता है। जैसे बारिश के लिए वर्षामापी यंत्र, हवा की गति मापने के लिए एनीमोमीटर, हवा की दिशा के लिए विंडवेन, वाष्पीकरण की दर को मापने के लिए पेन-इवेपोरीमीटर, सनसाइन रिकॉर्डर, ओस के लिए ड्यूगेज, जमीन का तापमान नापने के लिए थर्मामीटर आदि का प्रयोग किया जाता है।

इसके अलावा मौसम (weather) का डेटा जुटाने में हाई-स्पीड कंप्यूटर, मौसम संबंधी उपग्रह, एयर बैलून और मौसम रडार भी अहम भूमिका निभाते हैं। इसके बाद जुटाए गए डेटा का अध्ययन किया जाता है और वर्तमान डेटा और मौसम के पिछले डेटा को भी देखा जाता है। इसके बाद मौसम (weather) की भविष्यवाणी की जाती है। जानकारी के मुताबिक मौसम विभाग के पास कई तरह के सेटेलाइट मौजूद होते हैं; जो बादलों की तस्वीर भेजते रहते हैं।
बारिश का अनुमान लगाने के ये देखना पड़ता है कि बादलों में कितना पानी है। इसके लिए धरती से आकाश की ओर रडार छोड़ी जाती है। रडार के जरिए भेजी गई तरंगें बादलों से टकरा कर वापस आती हैं और उसके बाद उनका अध्ययन किया जाता है। इसके बाद मौसम विभाग ये भविष्यवाणी करता है कि कहां बारिश हो सकती है।
Tag: #nextindiatimes #weather #heatwave #IMD