नई दिल्ली। India अब सिर्फ विदेशी मदद लेने वाला देश नहीं रहा बल्कि बीते कुछ वर्षों में वह कई देशों को आर्थिक सहायता और कर्ज देने वाला अहम देश बन चुका है। पड़ोसी देशों से लेकर अफ्रीका और लैटिन अमेरिका तक भारत की वित्तीय मदद उसकी विदेश नीति का मजबूत हिस्सा बन गई है।
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वित्त मंत्री की ओर से पेश किए गए केंद्रीय बजट 2024-25 के बाद जारी डॉक्यूमेंट के अनुसार विदेश मंत्रालय के लिए इस साल 22,155 करोड़ रुपये का बजट रखा गया है। यह रकम पिछले वित्त वर्ष 2023-24 के बजट अनुमान 18,050 करोड़ रुपये से ज्यादा है लेकिन संशोधित अनुमान 29,121 करोड़ रुपये से कम है। वहीं 2024-25 में विदेशी देशों को दी जाने वाली सहायता का अनुमान 5,667.56 करोड़ रुपये रखा गया है।

बजट आंकड़ों के अनुसार भारत से सबसे ज्यादा आर्थिक सहायता भूटान को मिलती है। वित्त वर्ष 2024-25 में भूटान को करीब 2,068.56 करोड़ रुपये की मदद मिलने का अनुमान है। हालांकि यह पिछले साल के मुकाबले थोड़ा कम है। वहीं 2023-24 में भूटान के लिए संशोधित आंकड़ा करीब 2,398.97 करोड़ रुपये रहा। भूटान के बाद नेपाल, मालदीव और मॉरीशस जैसे देश भारत की सहायता सूची में ऊपर है।
भारत कई देशों को कर्ज देता है, लेकिन साथ ही भारत कई देशों से कर्ज लेता भी है। अगर भारत के विदेशी कर्ज की बात करें तो मार्च 2020 के अंत तक देश का कुल भारी कर्ज करीब 558.5 अरब डॉलर तक पहुंच गया। इसमें वाणिज्यिक उधार और एनआरआई डिपॉजिट्स की बड़ी भूमिका रही। वहीं कोरोना संकट के दौरान भारत ने वर्ल्ड बैंक और एशियाई विकास बैंक से भी कर्ज लिया ताकि एमएसएमई, हेल्थ और एजुकेशन जैसे सेक्टर को संभाल जा सके।
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