डेस्क। महाराष्ट्र (Maharashtra) के सपा विधायक अबू आज़मी (Abu Azmi) द्वारा औरंगजेब (Aurangzeb) पर टिप्पणी किए जाने के बाद घमासान मच गया है। अब यह मामला बिहार भी पहुंच गया है। बिहार में NDA में ही इस मामले पर अलग-अलग सुर दिखाई दे रहे हैं। जेडीयू नेता खालिद अनवर के बयान ने नया विवाद खड़ा कर दिया है। JDU नेता खालिद अनवर ने कहा कि ऐतिहासिक शख्सियतों पर चर्चा अकादमिक ही रहनी चाहिए और उसका राजनीतिकरण नहीं किया जाना चाहिए।
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हालांकि औरंगजेब (Aurangzeb) एक ऐसा बादशाह था जो हमेशा से ही विवादों में रहा है, खासकर इसकी कब्र को लेकर। मुगल बादशाह औरंगजेब की कब्र औरंगाबाद (Aurangabad) से 25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित खुल्दाबाद में है। अक्सर लोग सवाल उठाते हैं कि आगरा और दिल्ली से हिंदुस्तान में राज करने वाले बादशाह की कब्र औरंगाबाद में क्यों बनी?
इतिहास के अनुसार मकबरा सन 1707 में औरंगजेब (Aurangzeb) की मृत्यु के बाद बनाया गया था। पहले इस मकबरे को कच्ची मिट्टी से तैयार किया गया था, लेकिन बाद में इसे लॉर्ड कर्जन ने मार्बल चढ़ावा दिए थे। इस मार्बल पर औरंगजेब का पूरा नाम अब्दुल मुजफ्फर मुहीउद्दीन मुहम्मद औरंगजेब लिखा हुआ है। कहा जाता है कि औरंगजेब चाहते थे कि उनका मकबरा बिल्कुल सिंपल हो, जिसे बनाने में अधिक पैसा न खर्च किया जाए। इस मकबरे की संरचना इस्लामिक वास्तुकला के द्वारा बनाई गई है।

एक रिपोर्ट के मुताबिक औरंगजेब (Aurangzeb) ने साल 1705 में मराठाओं के किले वागिनजेरा पर जीत हासिल करने के बाद कृष्णा नदी के पास एक गांव में अपना शिविर लगाया। यहीं पर औरंगजेब बीमार पड़ गए। उसी साल अक्टूबर में दिल्ली जाने के इरादे से उन्होंने अपना काफिला अहमदनगर की तरफ बढ़ाया। 14 जनवरी, 1707 को औरंगजेब एक बार फिर बीमार हो गए। तीन मार्च 1707 को तेज बुखार से उनकी मृत्यु हो गई। एक बार दक्षिण जाने के बाद वो दोबारा दिल्ली कभी नहीं लौटे। अपनी मृत्यु के समय औरंगजेब महाराष्ट्र में थे।
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