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Friday, November 28, 2025

देश में पहली बार कब हुआ था SIR, जानें क्यों होता है ये जरूरी?

नई दिल्ली। चुनाव आयोग समय-समय पर वोटर लिस्ट को अपडेट करता है ताकि उसमें कोई गलती न रहे। इसी प्रक्रिया को SIR कहते हैं। इसी के चलते करीब दो दशकों बाद अब चुनाव आयोग ने फिर से देश भर में SIR शुरू किया है। इसकी शुरुआत बिहार से की गई, जहां लगभग 69 लाख नाम वोटर लिस्ट से हटाए गए।

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SIR का मतलब वोटर लिस्ट की पूरी तरह से गहन जांच और पुनरीक्षण होता है। इसमें चुनाव आयोग के अधिकारी घर-घर जाकर मतदाताओं की जानकारी लेते हैं, यह देखते हैं कि कौन लोग पात्र हैं, किसका नाम गलती से छूट गया है और किनके नाम अब हटाए जाने चाहिए। इस प्रक्रिया के बाद एक नई वोटर लिस्ट तैयार होती है।

भारत में पहला आधिकारिक SIR 2002 से 2004 के बीच किया गया था। यह उस समय एक बहुत बड़ी पहल थी क्योंकि तब तक वोटर लिस्ट में भारी गलतियां पाई जाती थीं। कई राज्यों में पुराने डेटा के कारण लाखों नाम दोहराए गए थे या गलत जगह दर्ज थे। यही वजह है कि अब चुनाव आयोग ने 2025 में नया SIR शुरू किया है।

समय के साथ वोटर लिस्ट में कई प्रकार की गड़बड़ियां हो जाती हैं। कोई व्यक्ति एक ही जगह पर दो बार दर्ज हो जाता है, किसी का नाम पुरानी जगह पर रह जाता है जबकि वह दूसरी जगह शिफ्ट हो गया होता है, कुछ लोगों के नाम गलत स्पेलिंग में होते हैं और कई लोगों का नाम मरने के बाद भी सूची में बना रह जाता है। ऐसी गड़बड़ियों को दूर करने के लिए चुनाव आयोग SIR करता है ताकि अगली बार जब चुनाव हों तो वोटर लिस्ट पूरी तरह सटीक और निष्पक्ष हो।

Tag: #nextindiatimes #SIR #ElectionCommision

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