एंटरटेनमेंट डेस्क। RD Burman एक ऐसे संगीतकार थे, जिसे किसी एक दायरे में कैद नहीं किया जा सकता। उन्होंने इंडियन और वेस्टर्न म्यूजिक को इतनी खूबसूरती से मिक्स किया कि सरगम के नये रंग ही सामने आ गये। पंचम दा ने साबित किया कि संगीत सिर्फ म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट्स में नहीं हर चीज में बसता है।
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फिल्म को समझकर म्यूजिक तैयार करना पंचम दा की खासियत थी और यह उन्होंने अपने पिता से सीखा था। पाश्चात्य संगीत पर उनकी खास पकड़ रही। एक साज दूसरे साज को दबा ना दे, पंचम इसका भी बहुत ख्याल रखते थे। संगीतकार आरडी बर्मन हर चीज में संगीत ढूंढ लेते थे। उन्हें सुरों के साथ एक्सपेरिमेंट करना पसंद था। उन्होंने बांस, कप-प्लेट, कंघी, कांच की बोतलों, गत्ते-लकड़ी के बॉक्स जैसी चीजों का इस्तेमाल कर संगीत बना दिया।

अगर आपने ध्यान दिया हो तो महबूबा महबूबा गाने की शुरुआत में जो साउंड आती है, वह आरडी बर्मन ने व्हिस्की की बोतल में हवा भरकर उसमें फूंक मारकर निकाला था। एक बार तो साउंड निकालने के लिए आरडी बर्मन ने अपने तबलावादक की शर्ट तक उतरवा दी थी। दरअसल एक गाने के लिए कुछ अलग ध्वनि चाहिए थी।
उस समय आरडी बर्मन के तबलावादक मारुति राव हुआ करते थे। आरडी बर्मन ने उनसे अपनी शर्ट निकालने के लिए कहा। मारुति ने पहले तो पूछा क्यों, लेकिन फिर हिचकिचाते हुए शर्ट उतार दी। आरडी बर्मन ने उनकी पीठ से आवाज निकाली और एक गाने में उसे पिरो दिया। पंचम का फिल्मों के लिए गीत रचने का एक खास तरीका था। वो अपने निर्देशकों को पहले बिठाकर फिल्म की पूरी कहानी सुनाने को कहते थे। उनका असिस्टेंट इस दौरान नोट्स लेता रहता था।
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