नई दिल्ली। आपने तमाम अपराधियों को गैंगस्टर (gangster) घोषित करने के मामले सुने होंगे लेकिन क्या आप जानते हैं कि किसी भी अपराधी (criminal) को कब और किन परिस्थितियों में गैंगस्टर घोषित किया जाता है? इस लेख में हम आपको इसके बारे में पूरी जानकारी (information) देने जा रहे हैं।
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गैंगस्टर अधिनियम 1986 (Gangster Act) के अनुसार एक या एक से अधिक व्यक्तियों का समूह जब किसी अपराध को करता है या किसी अपराध के जरिए अनुचित लाभ उठाता है तो वह गैंगस्टर (gangster) कहलाता है। इसमें सिर्फ हत्या (murder) से जुड़े अपराध शामिल नहीं हैं, बल्कि कई और तरह का अपराध भी अगर इस तरह का कोई ग्रुप करता है तो उस पर गैंगस्टर अधिनियम 1986 के तहत कार्रवाई होती है।
किसी अपराधी को गैंगस्टर (gangster) घोषित करने की एक पूरी प्रक्रिया है। कानून के मुताबिक जब एक अपराधी (criminal) गैंग के साथ अपराध करता है या अलग-अलग अपराध के लिए अलग-अलग व्यक्तियों का सहारा लेकर अपराध करता है तो उस व्यक्ति को गैंगस्टर घोषित कर दिया जाता है। किसी अपराधी को गैंगस्टर घोषित करने से पहले अपराध से संबंधित थाने का प्रभारी एक चार्ट बनाता है, जिसे गैंग चार्ट कहा जाता है।

थाना प्रभारी यानी एसएचओ अपने वरिष्ठ अधिकारियों के सामने ये चार्ट पेश करता है। यहां से ये चार्ट एसपी के पास से होते हुए जिले के डीएम के पास पहुंचता है और फिर DM इस चार्ट की जांच करने के बाद इसे मंजूरी दे देते हैं। डीएम की मंजूरी के बाद इस चार्ट में मौजूद सभी अपराधी गैंगस्टर घोषित हो जाते हैं। आमतौर पर गैंगस्टर एक्ट के तहत अपराधों के लिए अपराधी को 5 से 10 वर्ष तक की सजा हो सकती है। वहीं कुछ मामलों में यह सजा आजीवन कारावास तक भी हो सकती है। उत्तर प्रदेश की बात करें तो यूपी में गैंगस्टर एक्ट (gangster Act) के तहत मिनिमम दो साल और अधिकतम 10 साल की सजा का प्रावधान है।
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