स्पोर्ट्स डेस्क। आपने marathon की दौड़ के बारे में तो सुना ही होगा। इसमें एक साथ कई सारे पार्टिसिपेंट्स दौड़ लगाते हैं और काफी लंबा डिस्टेंस कवर करके एक फाइनल पॉइंट पर पहुंचते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इस दौड़ का नाम मैराथन ही क्यों रखा गया और इसका डिस्टेंस कितना होता है?
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मैराथन को मैराथन नाम मिलने के पीछे एक दिलचस्प कहानी है। मैराथन की शुरुआत साल 490 ईसवी से पहले हुई थी। ग्रीस में मैराथन नाम का एक कोस्टल प्लेन था, जहां यूनानी और पर्शियन सैनिकों के बीच युद्ध हुआ था। इस दौरान यूनान की छोटी सी आर्मी ने पर्शियन्स को बुरी तरह से हरा दिया था। ऐसे में इस खुशखबरी देने के लिए यूनानी सेना के फिडिपीडेस नाम के सैनिक को यूनान भेजा गया।

मैराथन से एथेंस तक का कुल डिस्टेंस 40 किमी था, जिसे फिडिपीडेस ने दौड़कर कवर किया था। इस दौरान फिडिपीडेस ने अपने कवच और कुंडल भी खोल दिए थे लेकिन वहां पहुंचने तक वह थका हुआ और खून से लथपथ था और उसने वहां पहुंचने पर सिर्फ एक शब्द बोला नैनीकिकामैन जिसका ग्रीक में मतलब था हम जीत गए। इस जीत की खबर देने के तुरंत बाद ही फिडिपीडेस की मौत हो गई। बाद में यही कहानी मॉडर्न मैराथन की इंस्पिरेशन बनी।
इस कहानी का कोई प्रूफ नहीं मिलता है लेकिन साल 1896 में जब मॉडर्न ओलिंपिक की शुरुआत की गई तो एक फ्रेंच स्कॉलर मिचेल ब्रिएल ने एक आइडिया दिया कि ओलंपिक में एक ऐसी रेस होनी चाहिए, जो इस कहानी को ट्रिब्यूट दे। तभी ओलंपिक्स के फाउंडर पियर डी कोबर्टिन को ये आइडिया काफी पसंद आया जिसके बाद एथेंस में पहला ओलंपिक मैराथन हुई।
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