नई दिल्ली। 30 जून 1908 को रूस के साइबेरिया (Asteroid in Siberia) में एक ऐसी घटना हुई, जिसने पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया। साइबेरिया (Siberia) में एक बड़ा धमाका हुआ। जिससे 2,000 स्क्वायर किलोमीटर का जंगल (forest) जलकर राख हो गया। इस धमाके की आवाजी धरती दहल गई। धमाके की आवाज जापान के हिरोशिमा में गिरे परमाणु बम की तुलना में 185 गुना अधिक थी।
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दरअसल यह एक एस्टेरॉयड (Asteroid) गिरने की घटना थी। जी हां, वही एस्टेरॉयड जिसके बारे में आपने सिर्फ किताबों में पढ़ा होगा। धरती समेत अन्य ग्रहों के आसपास मौजूद एस्टेरॉयड कई बार धरती से टकरा चुके हैं। मगर 1908 में साइबेरिया में गिरा एस्टेरॉयड अब तक की सबसे भयानक घटना थी। यही वजह है कि इस दिन को ‘वर्ल्ड एस्टेरॉयड डे’ (World Asteroid Day) के रूप में मनाया जाता है।
1908 में एस्टेरॉयड (Asteroid) गिरने के बाद भी 19 सालों तक वैज्ञानिक वहां नहीं जा सके। 1927 में साइबेरिया की उस जगह पर पहला वैज्ञानिक अभियान चलाया गया। 19 साल की देरी के बावजूद साइबेरिया की उस जगह पर एस्टेरॉयड के सबूत देखे जा सकते थे। एस्टेरॉयड से हुई तबाही का मंजर 19 साल के बाद भी काफी भयानक था। संयुक्त राष्ट्र ने दिसंबर 2016 में 30 जून को विश्व एस्टेरॉयड दिवस घोषित कर दिया।

इस दिन को मनाने का उद्देश्य दुनिया में एस्टेरॉयड (Asteroid) के प्रति जागरुकता फैलाना है, जिससे लोग भविष्य में होने वाले ऐसे हमलों के प्रति सतर्क रहें। इस बार वर्ल्ड एस्टेरॉयड डे (World Asteroid Day) की 10वीं वर्षगांठ मनाई जा रही है। 2029 में सालों बाद एक एस्टेरॉयड धरती के बेहद नजदीक से गुजरेगा। वैज्ञानिकों ने इसे अपोफिस (Apophis) का नाम दिया है। वैज्ञानिकों के अनुसार अपोफिस धरती से महज 32,000 किलोमीटर की दूरी से गुजरेगा।
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