नई दिल्ली। संसद (Parliament) में कई मुद्दों पर बहस होती है, लेकिन गरमा गरम बहस कब हाथापाई में बदल जाए कुछ पता नहीं चलता। यही वजह है कि अक्सर एक सवाल खड़ा होता है कि अगर संसद में सांसद हाथापाई करने लगे तो क्या पुलिस केस दर्ज कर सकती है?
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बता दें कि संसद के अंदर आम आपराधिक कानून शायद ही कभी लागू होता है। ऐसा इसलिए क्योंकि सांसदों को संवैधानिक विशेषाधिकारों से सुरक्षा मिली होती है। यह बोलने की आजादी और निडर बहस को सुनिश्चित करने के लिए बनाए गए हैं। संविधान के अनुच्छेद 105 के तहत सांसदों को संसद के अंदर अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए कही या फिर की गई किसी भी बात के लिए छूट मिलती है।

इसका मतलब होता है कि अगर सदन के अंदर कोई झगड़ा मौखिक या शारीरिक होता है तो पुलिस तब तक दखल नहीं दे सकती जब तक संसद खुद कोई और फैसला न करे। विशेषाधिकार समिति की सिफारिश के आधार पर सदन एक या फिर एक से ज्यादा सजाएं दे सकता है। इसमें सदन से निलंबन सबसे ज्यादा आम सजा है। यह सजा दुर्व्यवहार की गंभीरता के आधार पर एक दिन, एक सत्र या सदन के पूरे बचे हुए कार्यकाल तक चल सकती है।
इसी के साथ सदन सदस्यता से निष्कासन भी कर सकता है। गंभीर दुर्व्यवहार से जुड़े बड़े मामलों में सदन किसी सदस्य को पूरी तरह से निष्कासित कर सकता है। इससे उनका सांसद के तौर पर कार्यकाल खत्म हो जाता है, लेकिन उन्हें दोबारा चुनाव लड़ने से नहीं रोका जा सकता। इसके अलावा कम गंभीर घटनाओं के लिए संसद व्यवस्था को बहाल करने और एक उदाहरण स्थापित करने के लिए फटकार लगा सकता है।
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