डेस्क। पहलगाम में हुए आतंकी हमले (Pahalgam terrorist attack) के बाद भारत ने सिंधु जल समझौते (Indus Water Treaty) को स्थगित करने जैसे कड़े कदम उठाए तो पाकिस्तान ने इसके बदले शिमला समझौते को स्थगित करने की धमकी दी है। जानते हैं क्या है शिमला समझौता (Shimla Agreement) और इसके खत्म होने से दोनों देशों पर क्या असर होगा?
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1971 में भारत के हाथों करारी शिकस्त के बाद 2 जुलाई, 1972 को हिमाचल प्रदेश प्रदेश की राजधानी शिमला में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) और पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री जुल्फीकार अली भुट्टो के बीच संधि हुई, जिसे ‘शिमला समझौता’ (Shimla Agreement) कहा जाता है। समझौते (Shimla Agreement) के मुताबिक युद्ध के बाद दोनों देशों के बीच पैदा हुए मतभेदों को दूर करना, शांति बहाली और भविष्य में रिश्तों को बेहतर करना था।
दोनों देशों ने 17 सितंबर 1971 को युद्ध विराम के रूप में मान्यता दी। तय हुआ कि इस समझौते के 20 दिनों के अंदर दोनों देशों की सेनाएं अपनी-अपनी सीमा में चली जाएंगी। यह भी तय हुआ कि दोनों देशों/सरकारों के अध्यक्ष भविष्य में भी मिलते रहेंगे। संबंध सामान्य बनाए रखने के दोनों देशों के अधिकारी बातचीत करते रहेंगे।दोनों देश सभी विवादों और समस्याओं के शांतिपूर्ण समाधान के लिए सीधी बातचीत करेंगे। तीसरे पक्ष द्वारा कोई मध्यस्थता नहीं की जाएगी।

यातायात की सुविधाएं स्थापित की जाएंगी। ताकि दोनों देशों के लोग आसानी से आ-जा सकें। जहां तक संभव होगा, व्यापार और आर्थिक सहयोग फिर से स्थापित किए जाएंगे। अगर दोनों देशों के बीच किसी समस्या का अंतिम निपटारा नहीं हो पाता है और मामला लंबित रहता है, तो दोनों पक्ष में से कोई भी स्थिति में बदलाव करने की एकतरफा कोशिश नहीं करेगा।
1972 में हुए शिमला समझौते (Shimla Agreement) में दोनों देशों ने बातचीत के जरिए समस्याओं को हल करने पर सहमति जताई थी, लेकिन पाकिस्तान ने 1999 में शिमला समझौते का उल्लंघन किया था, जब पाकिस्तानी सैनिक जम्मू और कश्मीर के भारतीय क्षेत्र में घुस गए थे। इसके बाद भारत ने पाकिस्तानी सैनिकों को खदेड़ने के लिए ऑपरेशन शुरू किया था, इसे कारगिल युद्ध के तौर पर जाना जाता है।
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