डेस्क। Nepal सरकार ने चार दिन पहले जब कुछ सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर प्रतिबंध लगाया तो इतनी उग्र प्रतिक्रिया की कल्पना भी नहीं की होगी। युवाओं का गुस्सा वैसे सोशल मीडिया को बैन करने वाले नेपाल सरकार के हालिया फैसले को लेकर भड़का था, लेकिन इस आंदोलन की इबारत काफी समय पहले लिख दी गई थी।
यह भी पढ़ें-आखिर क्या है नेताओं की कुंडली बताने वाली संस्था ADR, कैसी बनी यह?
Nepal के Gen-Z आंदोलन के पीछे सिर्फ एक चेहरा था- सुदन गुरुंग। नेपाल में पहले से ही सिस्टम में व्याप्त भ्रष्टाचार, आर्थिक असमानता और कुप्रशासन के खिलाफ गुस्सा भरा हुआ था। इस गुस्से की आग में घी डालने का काम सरकार के सोशल मीडिया को बैन करने वाले फैसले ने लिया। सुदन गुरुंग ने नेपाल के युवाओं को एक मंच पर लाने की कोशिश की। सुदन का संगठन हामी नेपाल वैसे तो खुद को गैर-लाभकारी संगठन बताता है, लेकिन Gen-Z आंदोलन के पीछे इस संगठन की बड़ी भूमिका है।

नवंबर, 2023 से Nepal सरकार ने पांच सार्वजनिक नोटिस जारी किए। संबंधित कंपनियों को पत्र भी लिखे। पर, मेटा और अन्य कंपनियों ने बार-बार समयसीमा बढ़ाने की अनदेखी की। सरकार ने आखिरकार 28 अगस्त को सभी प्लेटफॉर्म से सात दिन में पंजीकरण कराने को कहा और यह समयसीमा समाप्त होने पर पाबंदी लगा दी।
फेसबुक, मैसेंजर, इंस्टाग्राम, एक्स, लिंक्डइन, रेडिट, थ्रेड्स, यूट्यूब, स्नैपचैट, पिंटरेस्ट, सिग्नल, क्लबहाउस और रंबल जैसे प्लेटफॉर्म प्रतिबंध के दायरे में आए। वहीं, टिकटॉक, वाइबर, विटक, निंबज और पोपो लाइव पहले से पंजीकृत होने के कारण बेरोक-टोक चल रहे थे। फेसबुक ने हाल में मुद्रीकरण कार्यक्रम शुरू किया था, जिससे क्रिएटर्स रील्स, पोस्ट और वीडियो के जरिये सीधे कमाई कर सकते हैं। माना जा रहा है कि प्रतिबंधों के कारण यह कमाई रुकने से आय और डिजिटल अर्थव्यवस्था पर सीधा असर पड़ा।
Tag: #nextindiatimes #NepalProtest #GenZmovement