बिहार। 2025 के विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार के युवाओं के हित में बड़ा फैसला लिया और शिक्षा विभाग की नौकरियों में 40% डोमिसाइल नीति (domicile policy) लागू कर दी गई। कैबिनेट से यह पास भी हो गया। चलिए आज आपको बताते हैं domicile policy क्या है और इससे बिहार के युवाओं को कितना फायदा होगा?
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इस फैसले के तहत शिक्षा विभाग में होने वाली भर्तियों में 90 से 95 प्रतिशत पद बिहार के मूल निवासी लोगों को मिलेंगे। यह मांग बिहार के शिक्षित बेरोजगार दशकों से उठा रहे थे। domicile policy का मतलब है- राज्य में रहने वालों को नौकरी में प्राथमिकता देना। इस नियम के मुताबिक अगर कोई छात्र बिहार के स्कूल या कॉलेज से मैट्रिक (10वीं) या इंटर (12वीं) पास किया है, तो उसे शिक्षक की नौकरी में फायदा मिलेगा।

अब इससे बिहार के 85 से 88% युवाओं के लिए शिक्षा विभाग में नौकरी आरक्षित हो गई है। यानी 100 में 88% बिहार के ही युवाओं को नौकरी मिलेगी। हालांकि विभाग ने यह भी दर्शाया है कि जिन अभ्यर्थियों का मैट्रिक और इंटरमीडिएट का सर्टिफिकेट बिहार के शिक्षण संस्थान का होगा उसी को यह लाभ मिलेगा। इसमें बाहर के राज्यों के जिन्होंने बिहार से ही मैट्रिक और इंटरमीडिएट की शिक्षा ली है उन्हें भी यह लाभ मिल जाएगा।
अगर सफल अभ्यर्थियों की सूची देखें तो शिक्षक भर्ती समेत अधिकांश नियुक्तियों में 80 से 85 प्रतिशत बिहार के युवा ही चयनित हुए हैं लेकिन अब डोमिसाइल नीति लागू होने के बाद बिहार के युवाओं के लिए यह प्रतिशत बढ़कर लगभग 95 प्रतिशत हो जाएगा, जिसे राज्य के इतिहास में एक ऐतिहासिक मोड़ माना जा रहा है।
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