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Friday, April 25, 2025

स्पॉट फिक्सिंग और मैच फिक्सिंग में क्या होता है अंतर, जानें यहां

स्‍पोर्ट्स डेस्‍क। पाकिस्‍तान के पूर्व तेज गेंदबाज जुनैद खान (Junaid Khan) ने आईपीएल 2025 (IPL 2025) में मैच फिक्सिंग (match fixing) की संभावना के संकेत दिए। जुनैद ने सनराइजर्स हैदराबाद के बल्‍लेबाज ईशान किशन के मुंबई इंडियंस के खिलाफ विवादित अंदाज में आउट होने पर बयान दिया। क्रिकेट या दूसरे खेलों के लिए फिक्सिंग शब्द कुछ नया नहीं। ऐसे में यह समझना जरूरी है कि आखिर यह स्पॉट फिक्सिंग (spot fixing) होता क्या है और मैच फिक्सिंग से कितना अलग है।

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फिक्सिंग (match fixing) में पूरे मैच के फैसले को बदलने की संभावता होती है जबकि स्पॉट फिक्सिंग के दौरान कोई भी टीम या खिलाड़ी मैच के सिर्फ उस हिस्से में ही धांधली करता है जो स्पॉट फिक्स (spot fixing) किया जाता है। मसलन ओवर की किसी गेंद पर जानबुझकर फेंकी गई वाइड-नो बॉल। या फिर जानबुझकर लुटाए गए रन। इसके अलावा, स्पॉट फिक्सिंग में कोई बल्लेबाज बुकी के कहे अनुसार एक ओवर में कोई रन नहीं बनाता है या कप्तान मैदान में कुछ ऐसे फैसले लेता है जो पहले से ही ‘फिक्स’ किए जा चुके हैं।

मैच फिक्सिंग (match fixing) इससे एकदम अलग है। यहां बहुत से खिलाड़ियों का धांधली करना या कई बार पूरी की पूरी टीम का जानबूझकर हारना शामिल होता है। विश्व क्रिकेट में ऐसे कई मौके सामने आए जब फिक्सिंग की दलदल में कई खिलाड़ियों ने ‘तालमेल’ दिखाते हुए मैच के नतीजे को प्रभावित किया हो।

फिक्सिंग (match fixing) के इस दोनों ही रूप में कई भारतीय खिलाड़ियों का करियर चौपट हो चुका है। 2013 में जहां श्रीसंत, अंकित चव्हाण और अंकित चंदेला का करियर खत्म हुआ तो इसके पहले टी सुधींद्र, शलभ श्रीवास्तव, मॉनीश मिश्रा, अमित यादव और अभिनव बाली भी इसके शिकार हो चुके हैं। दूसरी ओर 2000 में फिक्सिंग के जिन्न ने भारतीय क्रिकेट को खत्म कर दिया था। इसमें भारतीय कप्तान मोहम्मद अजहरूद्दीन, अजय जडेजा, नयन मोंगिया, अजय शर्मा और मनोज प्रभाकर सरीखे दिग्गज भी फंसे थे।

Tag: #nextindiatimes #matchfixing #spotfixing

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