डेस्क। सावन (Sawan 2025) का महीना चल रहा है। इस महीने में हर कोई महादेव की पूजा में लीन दिखाई देता है। कई सारे लोग तो अपने घर में रुद्राभिषेक और मंदिर में जाकर जलाभिषेक करते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि यही महीना होता है जब भगवान शिव अपने भक्तों की हर इच्छा को पूरा करते हैं लेकिन क्या आप जानते हैं कि रुद्राभिषेक (Rudrabhishek) और जलाभिषेक दोनों अलग होते हैं?
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जलाभिषेक का मतलब है भगवान शिव का जल चढ़ाना। जिससे उन्हें शीतलता मिलती है। यह परंपरा भगवान शिव के विष पान की घटना से जुड़ी हुई है। जलाभिषेक सरल और सामान्य विधि है, जिसे रोज शिवालय जाकर या घर पर भी किया जा सकता है। जलाभिषेक के लिए कोई विशेष विधि नहीं होती है।

रुद्राभिषेक (Rudrabhishek) एक विशेष प्रक्रिया होती है, जो कई सारे मंत्रोचरण के साथ की जाती है। इसमें रुद्र सूक्त का पाठ किया जाता है। इसे हमेशा पंडित जी के द्वारा किया जाता है। बिना पंडित जी के इसे पूरा नहीं किया जाता है। इसमें दूध, दही, घी, शहद, गंगाजल, बेलपत्र, चंदन, भस्म, सफेद फूल आदि का उपयोग होता है। इन सभी को सही क्रम में शिवलिंग पर चढ़ाया जाता है, ताकि इसका फल आपको मिल सके। इसे अक्सर कई सारे लोग करवाते हैं। इसे करवाने से ग्रह शांति होती है।
साथ ही, आपके जीवन में किसी भी कार्य में अगर रुकावटे आ रही हैं, तो इसे कम करने के लिए इसे किया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि इस पूजा को भगवान शिव के रुद्र रुप का पूजन किया जाता है। रुद्राभिषेक (Rudrabhishek) को घर पर भी किया जा सकता है और शिवालय में भी किया जा सकता है।
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