डेस्क। हर धर्म (religion) और संस्कृति में धार्मिक और ऐतिहासिक स्थलों का विशेष महत्व होता है। इस्लाम (Islam) में तीन प्रमुख संरचनाएं मस्जिद (mosque), दरगाह और मकबरा अलग-अलग उद्देश्यों के लिए बनाई जाती हैं। हालांकि कई बार लोग इन शब्दों को एक ही मान लेते हैं लेकिन इनके बीच बड़ा अंतर होता है।
यह भी पढ़ें-काबा के अंदर क्यों नहीं लगाई जाती लाइट, जानें काले पत्थर का रहस्य
दरगाह:
दरगाह शब्द फारसी भाषा से लिया गया है। दर का मतलब द्वारा या दरवाजा और गाह का मतलब स्थान या जगह होता है। दरगाह (Dargah) का मतलब होता है कि चौखट या देहलीज। यह आमतौर पर किसी संत या वली की समाधि को सम्मानपूर्वक दर्शाने के लिए बनाया जाता है। दरगाह में लोग महान व्यक्ति की चौखट पर मत्था टेकने जाते हैं। दरगाह उन सूफी संत की समाधि होती है, जिन्होंने अपने जीवन में प्रेम, करुणा या आध्यात्मिकता का संदेश दिया होता है। दरगाह पर आकर लोग संत की मजार पर फूलों की चादर चढ़ाते हैं। कई दरगाहों पर सूफी कव्वाली गाई जाती है।
मस्जिद:
मस्जिद (mosque) शब्द अरबी भाषा से लिया गया है और यह स-ज-द मूल से बना है। स-ज-द का मतलब होता है सजदा करना है या मत्था टेकना। मस्जिद (mosque) वह जगह है, जहां मुसलमान नमाज पढ़ते हैं और अल्लाह के आगे सजदा करते हैं। यहां पर 5 वक्त की नमाज होती है, इस्लामी शिक्षा दी जाती है और सामाजिक कार्य भी होते हैं। इस्लाम (Islam) में अल्लाह को निराकार माना जाता है, जिसका मतलब है कि उसकी कोई मूर्ति या चित्र नहीं बनाया जा सकता है। यही कारण है कि मस्जिदों (mosque) में कोई मूर्ति या तस्वीर नहीं होती है।

मकबरा:
मकबरा (Maqbara) अरबी भाषा का शब्द है और यह क-ब-र यानी दफनाने से बना है। मकबरा का मतलब है कि जिस जगह किसी को दफनाया गया हो। आमतौर पर जब किसी प्रसिद्ध व्यक्ति की कब्र के ऊपर एक बड़ी इमारत बना दी जाती है, उसे मकबरा कहा जाता है। मकबरा बनाने का उद्देश्य मृतक व्यक्ति की याद को बनाए रखना और उसकी विरासत को सम्मान देना होता है।
Tag: #nextindiatimes #mosque #Islam