डेस्क। जब कोई कहता है खुदा हाफिज और कोई अल्लाह हाफिज तो अक्सर लोगों के मन में सवाल उठता है कि क्या दोनों का अर्थ अलग-अलग होता है? धर्म, भाषा और इतिहास की परतों में छिपा यह सवाल जितना सरल दिखता है, असल में उतना ही गहरा और रोचक है।
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अल्लाह (Allah) अरबी भाषा का शब्द है, जो अल-इलाह से निकला माना जाता है; जिसका अर्थ है वह एकमात्र ईश्वर। इस्लाम में अल्लाह ईश्वर का विशेष और विशिष्ट नाम है। कुरान में हर जगह इसी शब्द का प्रयोग हुआ है और यह ईश्वर की एकता यानी तौहीद की अवधारणा को दर्शाता है। इस्लामी मान्यता में अल्लाह का कोई रूप, साझीदार या समान नहीं है और इसी कारण यह शब्द केवल उसी सर्वशक्तिमान सत्ता के लिए प्रयुक्त होता है।

खुदा शब्द फारसी और बाद में उर्दू भाषा से आया है। इसका अर्थ भी ईश्वर या भगवान ही है लेकिन यह किसी एक धर्म तक सीमित नहीं है। फारसी साहित्य, सूफी परंपरा और उर्दू शायरी में खुदा शब्द का व्यापक प्रयोग मिलता है। भारत और पाकिस्तान में मुसलमानों के साथ-साथ कई गैर-मुस्लिम भी ईश्वर के लिए खुदा शब्द का इस्तेमाल करते हैं, जिससे यह एक सामान्य और सर्वधार्मिक शब्द बन गया है।
धार्मिक दृष्टि से देखा जाए तो खुदा और अल्लाह में कोई वास्तविक अंतर नहीं है। दोनों शब्द उसी एक सर्वशक्तिमान, सर्वज्ञ और सृष्टिकर्ता सत्ता की ओर संकेत करते हैं। फर्क सिर्फ इतना है कि अल्लाह इस्लाम में ईश्वर का विशेष नाम है, जबकि खुदा एक सामान्य शब्द है, जो भाषा और संस्कृति के अनुसार प्रयोग होता है। यही कारण है कि इस्लामी धार्मिक ग्रंथों और औपचारिक इबादत में अल्लाह शब्द को प्राथमिकता दी जाती है।
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