नई दिल्ली। भारत और पाकिस्तान के बीच जारी तनाव (India Pakistan tension) अब काफी ज्यादा भयंकर स्तर पर पहुंच चुका है। इस बीच केंद्र सरकार ने सेना प्रमुख को एक बड़ा अधिकार दिया है। इस अधिकार के तहत सेना प्रमुख टेरिटोरियल आर्मी (Territorial Army) के हर अफसर और जवान को अपनी जरूरत के मुताबिक किसी मिशन में लगा सकते हैं। सेना प्रमुख (Army Chief) इनसे किसी भी तरह का काम करा सकता है जो आर्मी चाहती हो।
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टेरिटोरियल आर्मी (Territorial Army) यानी कि प्रादेशिक सेना देश की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है। इसमें 32 पैदल बटालियन हैं, जिनमें से 14 बटालियन (करीब 14,000 सैनिक) दक्षिणी, पूर्वी, पश्चिमी, मध्य, उत्तरी, दक्षिण-पश्चिमी, अंडमान और निकोबार तथा सेना प्रशिक्षण कमांड में तैनात की जा सकती हैं। इस समय टेरिटोरियल आर्मी नियमित सेना का जरूरी अंग है।
टेरिटोरियल आर्मी (Territorial Army) में वो लोग शामिल होते हैं जो अपनी नौकरी के साथ-साथ सेना की ट्रेनिंग लेते हैं। किसी आपात स्थिति में यह नियमित सेना को यूनिट प्रदान करती है। यह प्राकृतिक आपदाओं और नागरिक प्रशासन की सहायता में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। 9 अक्टूबर 1949 को भारत के प्रथम गवर्नर जनरल सी. राजगोपालाचारी ने की। इस दिन को ‘टीए दिवस’ के रूप में मनाया जाता है।

18-42 वर्ष के नागरिक इसका हिस्सा बन सकते हैं। उनका स्नातक होना और शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ होना जरूरी है। टेरिटोरियल आर्मी (Territorial Army) की सुविधाओं की बात करें तो इसमें चयनित उम्मीदवारों को सैलरी के साथ-साथ कई सारे भत्ते और लाभ मिलते हैं। जैसे- उम्मीदवारों को सीएसडी, चिकित्सा और मुफ्त राशन, आर्मी कैंटीन की सुविधाएं मिलती है। सैलरी अलग-अलग रैंक के हिसाब होती है, जो 56,100 रुपये से लेकर 2,25,000 रुपये के बीच होता है।
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