नई दिल्ली। केरल (Kerala) में शनिवार यानी 24 मई को मानसून (Monsoon) ने दस्तक दे दी। इस बार मानसून अपने तय वक्त से 8 दिन पहले पहुंच गया। अब जुलाई तक मानसून (Monsoon) पूरे देश तक पहुंच जाएगा। आखिरी बार 2009 में ऐसा हुआ था जब मानसून इतनी जल्दी पहुंच गया था। अगर उत्तर भारत (North India) की बात करें तो यह अमूमन 20-25 जून तक पहुंचता है।
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वास्तव में मानसून (Monsoon) और बारिश के लिए दो स्थितियां (पैटर्न) जिम्मेदार होती हैं। इनमें एक है अल नीनो (El Nino) और दूसरी ला नीना। अल नीनो में समुद्र का तापमान तीन से चार डिग्री तक बढ़ जाता है। अल नीनो घटना के दौरान, ये हवाएं कमजोर हो जाती हैं या विपरीत दिशा में चली जाती हैं, जिससे गर्म सतही जल पूर्व की ओर चला जाता है। आमतौर पर इस स्थिति का प्रभाव 10 साल में दो बार देखने को मिलता है। इसका प्रभाव यह होता है कि ज्यादा बारिश वाले इलाकों में कम बारिश और कम बारिश (rain) वाले क्षेत्रों में अधिक बारिश होती है।

दूसरी ओर, ला नीना (La Nina) में समुद्र का पानी खूब तेजी से ठंडा होने के कारण दुनिया भर के मौसम पर सकारात्मक असर पड़ता है। इससे बादल छाते हैं और बेहतर बारिश होती है। इस घटना को पहली बार 1600 के दशक में पेरू के मछुआरों ने देखा था, जिन्होंने देखा था कि दिसंबर में अमेरिका के पास गर्म पानी अपने चरम पर होता है।
आपको बता दें अल नीनो (El Nino) और ला नीना (La Nina) दोनों ही पृथ्वी के मौसम को प्रभावित करने वाले प्राकृतिक जलवायु चक्र का हिस्सा हैं। अल नीनो और ला नीना की घटनाएं आमतौर पर हर दो से सात साल में होती हैं और आमतौर पर नौ से 12 महीने तक चलती हैं। भारत में ला नीना मानसून (Monsoon) के दौरान वर्षा की मात्रा में वृद्धि करता है, विशेष रूप से उत्तर-पश्चिम भारत और बांग्लादेश में।
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