नई दिल्ली। ADR की रिपोर्ट के अनुसार देश के 47 प्रतिशत नेताओं के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं। बीजेपी के 336 मंत्रियों में से 136 के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं, वहीं कांग्रेस के 45 मंत्री अपने खिलाफ आपराधिक आरोपों का सामना कर रहे हैं। आइए इसी बहाने जानते हैं ADR संस्था क्या है और इसकी शुरुआत कैसे हुयी?
यह भी पढ़ें-जानें किस प्रधानमंत्री ने किए सबसे ज्यादा विदेश दौरे? चर्चा में रहा था यह नाम
ADR एक भारतीय गैर-सरकारी संगठन है, जो चुनाव लड़ रहे उम्मीदवारों के हलफनामों का विश्लेषण करके उनकी रिपोर्ट जारी करता है। इसकी शुरुआत 1999 में भारतीय प्रबंधन संस्थान (IIM) अहमदाबाद के कई प्रोफेसर्स ने मिलकर की थी। इसमें त्रिलोचन शास्त्री, जगदीप एस, सुनील हांडा, अजीत रनांडे, देवनाथ तिरुपति, ब्रिज कोठारी, राजेश अग्रवाल, पंकज चंद्र, पीआर शुक्ला, प्रेम पंगोतरा और सुदर्शन खन्ना शामिल थे।

दरअसल 1999 में इन प्रोफेसर्स के ग्रुप ने दिल्ली हाई कोर्ट ने एक याचिका दाखिल की। याचिका में कहा गया कि चुनावी मैदान में उतरने वाले उम्मीदवारों के क्रिमिनल रिकॉर्ड, शिक्षा, सम्पत्ति की जानकारी सार्वजनिक की जानी चाहिए। याचिका के आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने 2003 में इस बात को अनिवार्य तौर पर लागू किया कि चुनाव लड़ने वाले सभी उम्मीदवारों को अपने हलफनामे में अपना क्रिमिनल, फाइनेंस और एजुकेशन रिकॉर्ड दर्ज करना होगा। इसके बाद से ही ADR ने उम्मीदवारों का रिकॉर्ड जारी करना शुरू किया।
संस्था की टीम चुनाव लड़ने वाले सभी कैंडिडेट के हलफनामे को पढ़ती है। उसे अलग-अलग हिस्सों में बांटती है। जैसे- अपराध, सम्पत्ति, शिक्षा ऐसे कई अलग-अलग हिस्सों से जुड़े आंकड़े और जानकारी को रिपोर्ट में दर्ज किया जाता है। इतना ही नहीं, चुनाव जीतने के बाद भी एडीआर की रिपोर्ट में सदन में पहुंचने वाले कैंडिडेट के बारे में कई खास जानकारियां जारी की जाती हैं।
Tag: #nextindiatimes #ADRReport #politics