नई दिल्ली। भारत के 79वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपना जोशीला भाषण दिया। भाषण में पीएम ने semiconductor chip का भी जिक्र किया। पीएम ने सेमीकंडक्टर चिप को लेकर ऐलान करते हुए कहा कि 2025 के अंत तक भारत की पहली स्वदेशी सेमीकंडक्टर चिप बाजार में होगी। चलिए जानते हैं कि आखिर क्या है ये सेमीकंडक्टर चिप? यह इतनी महत्वपूर्ण क्यों है?
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semiconductor chip का इस्तेमाल सैटेलाइट के डेटा को इकट्ठा करने और दुनियाभर में तमाम सिग्नल भेजने के लिए किया जाता है। सेमीकंडक्टर चिप जिसे माइक्रोचिप या इंटीग्रेटेड सर्किट भी कहते हैं। यह चिप सिलिकॉन का बना होता है जो बिजली को आंशिक रूप से संचालित करता है। यह छोटे से आकार में लाखों-करोड़ों ट्रांजिस्टर समेटे हुए होती है, जो इलेक्ट्रॉनिक सिग्नल को नियंत्रित करते हैं। स्मार्टफोन, कंप्यूटर, टेलीविजन, कार, मेडिकल उपकरण, सैटेलाइट और यहां तक कि मिसाइल जैसे रक्षा उपकरणों में ये चिप्स दिमाग की तरह काम करती हैं।

भारत में सेमीकंडक्टर (semiconductor chip) के सफर की शुरुआत साल 1960 में हुई थी। Fairchild सेमीकंडक्टर नाम की कंपनी ने सबसे पहले चिप बनाने की शुरुआत की थी, लेकिन भारतीय नौकरशाही की बेरुखी और दवाब के कारण कंपनी ने भारत छोड़ दिया और मलेशिया चली गई।
साल 1976 चंडीगढ़ के मोहाली में सेमीकंडक्टर कॉम्प्लेक्स लिमिटेड (Semiconductor Complex Ltd) की शुरुआत हुई। SCL ने 5000 nm प्रोसेस और 800 nm एडवांस तकनीक के साथ शुरुआत की। ये वो दौर था, जब सेमीकंडक्टर के क्षेत्र में ताइवान, चीन ने प्रवेश भी नहीं किया था। साल 1984 में पंजाब के मोहाली में सेमीकंडक्टर कॉम्प्लेक्स लिमिटेड (SCL) ने सेमीकंडक्टर बनाना शुरू कर दिया। लेकिन साल 1989 में भारत के चिप हब बनने के सपने को फिर से झटका लगा।
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